आजाद है सभी इस जहांँ में ,
पौधे दो हरगिज नहीं, होते कभी उदास
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
आप आते हैं तो बहारों पे छा जाते हैं ।
सितारा कोई
shahab uddin shah kannauji
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
श्रद्धा तर्क, तर्कबुद्धि तथा ईश्वर (Faith, Logic, Reason and God)
कहीं फूलों की बारिश है कहीं पत्थर बरसते हैं
सम्मान शराफत से मिल जाए वही सम्मान।