उम्मीद खुद से करेंगे तो ये
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श्रीकृष्ण की व्यथा....!!!!
लक्ष्य अभिप्रेत
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
अक्टूबर में ढमढम (बाल कविता)
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
मैंने हर मुमकिन कोशिश, की उसे भुलाने की।
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
हजारों से बात बिगड़ी थी...
समस्या विकट नहीं है लेकिन
- हम खुद को संभाल लेंगे -
दिल का हमने कर दिया,खाली वही मकान
गले लगना है तो उसको कहो अभी लग जाए