ये बटोही
तोर मुच मुच हांसे ले वो फुलकैना,
हिरदे अमवा डार कस झूमर जाही l
गड़ी आवत जावत नैना मिला लेबे,
मोर मन चिरइया मने मन मुस्काही I
घोर दे मया थोकन मोर जिया म तै,
बदरा मया के जिनगी म छा जाही l
नानपन के जोही मोर, ये बही मोर,
तोर बिन जिनगी मोर कइसे पहाही l
बरसों बरस रइहा अंचरा के छांव म,
चाहे बैरी ये दुनिया कतको भरमाही l
मोला तोर जिया मा संगी ठौर दे दे,
अउ कहां भटकत ये बटोही जाही l
अजी झन जाबे दुरिहा सुवना मोर,
पिरीत के गीत मोर बर कोन गाही l
तोर मिलही साथ अगर ये संगवारी,
ये जिनगी ह पाखी कस उड़ान पाही l
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल