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13 Jan 2025 · 1 min read

ये बटोही

तोर मुच मुच हांसे ले वो फुलकैना,
हिरदे अमवा डार कस झूमर जाही l
गड़ी आवत जावत नैना मिला लेबे,
मोर मन चिरइया मने मन मुस्काही I

घोर दे मया थोकन मोर जिया म तै,
बदरा मया के जिनगी म छा जाही l
नानपन के जोही मोर, ये बही मोर,
तोर बिन जिनगी मोर कइसे पहाही l

बरसों बरस रइहा अंचरा के छांव म,
चाहे बैरी ये दुनिया कतको भरमाही l
मोला तोर जिया मा संगी ठौर दे दे,
अउ कहां भटकत ये बटोही जाही l

अजी झन जाबे दुरिहा सुवना मोर,
पिरीत के गीत मोर बर कोन गाही l
तोर मिलही साथ अगर ये संगवारी,
ये जिनगी ह पाखी कस उड़ान पाही l

✍️ दुष्यंत कुमार पटेल

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