Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2025 · 1 min read

*आवारा कुत्तों को देखो, इनकी क्या शान निराली है (राधेश्यामी छंद/हास्य व्यंग

आवारा कुत्तों को देखो, इनकी क्या शान निराली है (राधेश्यामी छंद/हास्य व्यंग्य)
🍂🍂➖➖➖➖🍂🍂
1)
आवारा कुत्तों को देखो, इनकी क्या शान निराली है।
हर जगह दबदबा है इनका, कोई भी गली न खाली है।।
2)
डरते हैं मानव सब इनसे, बच-बच कर सदा निकलते हैं।
यह अगर सड़क पर बाऍं हैं, तो दाऍं पर सब चलते हैं।।
3)
हर गली-मोहल्ला इनका है, हर पार्क इन्हीं के नाम हुआ।
हर सुबह इन्हीं का राज हुआ, इनका शासन हर शाम हुआ।।
4)
रातों-भर गलियॉं इनकी हैं, चूॅं-चपड़ न कोई करता है।
जो इनके घुसे मोहल्ले में, बेमौत समझ लो मरता है।।
5)
इनकी दहशत वह क्या जानें, कारों में नित जो घूम रहे।
कुत्तों से खतरा उनको है, जो पैदल धरती चूम रहे।।
6)
जो पुलिस-फौज से घिरा रहा, कुत्तों से बस वह बच पाया।
इनसे खतरा बस उसे नहीं, जो बंदूकों के सॅंग आया।।
7)
इनके गुर्राने में खतरा, यह अगर काट लें खैर नहीं।
सबको कुत्तों ने काटा है, इनको अपना या गैर नहीं।।
8)
कुत्तों से दिक्कत अगर बंधु, हो तो भी कुछ कर कब पाऍंगे।
इनके अधिकार असीमित हैं, यह जमकर मौज मनाऍंगे।।
9)
तो करें प्रतीक्षा रखें धैर्य, इनकी नसबंदी होएगी।
तब तक सड़कें सब इनकी हैं, मानव-प्रजाति बस रोएगी।।
➖➖➖➖➖➖➖➖
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉 🎉
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉 🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
साथ
साथ
Neeraj Kumar Agarwal
4371.*पूर्णिका*
4371.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
संजय निराला
तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।
तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।
दीपक झा रुद्रा
कुछ अच्छा करने की चाहत है
कुछ अच्छा करने की चाहत है
विकास शुक्ल
यही तो जिंदगी का सच है
यही तो जिंदगी का सच है
gurudeenverma198
जीवन में हर एक व्यक्ति किसी न किसी पर विश्वास करके ही ज़िन्द
जीवन में हर एक व्यक्ति किसी न किसी पर विश्वास करके ही ज़िन्द
ललकार भारद्वाज
उपकार हैं हज़ार
उपकार हैं हज़ार
Kaviraag
ना छेड़ सखी मन भारी है
ना छेड़ सखी मन भारी है
डी. के. निवातिया
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
कोशिश ना कर
कोशिश ना कर
Deepali Kalra
दोहा त्रयी. . . शृंगार
दोहा त्रयी. . . शृंगार
sushil sarna
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
आज जो तुम तन्हा हो,
आज जो तुम तन्हा हो,
ओसमणी साहू 'ओश'
*अंगूर (बाल कविता)*
*अंगूर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
* प्रभु राम के *
* प्रभु राम के *
surenderpal vaidya
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तेरे दिल तक
तेरे दिल तक
Surinder blackpen
*श्रीराम*
*श्रीराम*
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
........,
........,
शेखर सिंह
"सर्व धर्म समभाव"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नारी : एक अतुल्य रचना....!
नारी : एक अतुल्य रचना....!
VEDANTA PATEL
मानस हंस छंद
मानस हंस छंद
Subhash Singhai
*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
Suryakant Dwivedi
प्रेम वो नहीं
प्रेम वो नहीं
हिमांशु Kulshrestha
बापू गाँधी
बापू गाँधी
Kavita Chouhan
Loading...