सैलीब्रिटीज का अंधानुकरण सनातनधर्मियों के लिये खतरे की घंटी (Blind imitation of celebrities is a warning bell for Sanatan Dharmis)

सनातनियों का सैलीब्रिटी के पीछे भागकर उनका अंधानुकरण करना एक पागलपन का रुप ले चुका है। जिसको देखो वही अहंकारी गुरुओं, वाचाल कथाकारों, चमत्कारी बाबाओं, गृहस्थबिगाड़ू नामदानियों, अधकचरे योगियों, हू- हा तांत्रिकों, चिकित्सा विज्ञान को धता बताने वाले झाडफूंकियों, मायिक पर्चानिकालुओं,लाईलाज बिमारियों को ठीक करने वाले इलू गिलुओं, गंदगी का पर्याय फकीरों और ईमानधारी बेईमानों के पीछे पागल होकर दौड़ रहा है। अपने सारे विवेक और तर्कशक्ति को बिना सोच -विचार किये किसी ऐरे- गेरे सैलीब्रिटी के चरणों में रखकर उनकी गुलामी करना पतन और विनाश की पराकाष्ठा है।
सनातनी वास्तव में ऐसा क्यों कर रहे हैं?यह जानना भी दिलचस्प है।आप सोच रहे होंगे कि इसका कारण सनातनियों का धार्मिक प्रवृत्ति का होना है। नहीं, ऐसा नहीं है। सनातनी यदि अपने सनातन धर्म को अपने आचरण में उतारने की हिम्मत करता तो वह ऐसा कभी नहीं करता। किन्हीं सैलीब्रिटी का अंधानुकरण करने वाला व्यक्ति सनातनी नहीं कहा जा सकता। सनातनी जिसके पास अपनी धार्मिक जिज्ञासा को शांत करने या योग साधना का अभ्यास करने जायेगा ,इन कार्यों को वह सोच विचारकर ही करेगा। तर्क के तराजू पर तोलकर ही वह ऐसा करेगा। लेकिन ऐसा कहीं कुछ देखने में नहीं आ रहा है। अधिकांश सनातनी अंधों की भीड़ द्वारा की जाने वाली जय जयकार को सुनकर, टीवी चैनल पर मौजूदगी को देखकर, धुआंधार प्रचार को देखकर,भव्य आश्रमों और गाड़ियों को देखकर, नेताओं की हाजिरी देखकर और पूंजीपतियों की जी हुजूरी देखकर यह अंदाजा लगाता है कि फलां फलां प्रसिद्ध व्यक्ति हमारा गुरु बनने योग्य है। आजकल का सनातनी अपने गुरु में अध्यात्म, योग- साधना, शास्त्रीय ज्ञान, चरित्र बल, वीतरागता,त्याग, तपस्या आदि को न देखकर सिर्फ बाहरी प्रसिद्धि और हंसो हल्ले को देखता है।
सनातनी भाई अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिये सोर्ट कट चाहते हैं। दुनिया भर के कुकर्म करो और किसी गुरु की शरण में जाकर कोई पाप माफी की टैक्नीक पा लो। कुछ चढ़ावा आदि चढावो और पापमुक्ति हो गई। इन सार्ट कट की तकनीक देने वाले बाबाओं, तांत्रिकों, संतों, कथाकारों और महामंडलेश्वरों की वजह से पापों से मुक्ति पाना इतना आसान हो गया है कि जनसाधारण भारतीय पाप करने से तनिक भी नहीं डरता है।इन पाखंडियों ने सभी का डर निकाल दिया है। कोई यज्ञ हवन करवाओ, किसी धाम की सात मंगलवार परिक्रमा करो,चढावा चढाओ,भंडारा करो, कोई तांत्रिक क्रिया करो, किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करो और सारे घृणित से घृणित पाप छू मंतर।गजब टैक्नीक है पाप माफी की।अन्य मजहबों में इसी तरह की टैक्नीक हैं लेकिन भारतीयों में आजकल पाप करके पाप माफी का धंधा जोरों पर है। अभी एक हिंदू से मतांतरित किसी बाजिंदर नाम के ईसाई पादरी को बलात्कार के अपराध में उम्रकैद की सजा हुई है। सत्ताधारी दल के अनेक बलात्कार में लिप्त बाजिंदर ऊपर तक पहुंच के कारण खुले घूम रहे हैं। बलात्कारियों के जेल से छूटते ही बलिदानियों की तरह उनका स्वागत सत्ताधारी दल के लोगों द्वारा किया जाना पागलपन की पराकाष्ठा है। सनातन धर्म का चोला ओढ़ हुये सत्ताधारी दल द्वारा लिव इन रिलेशनशिप आदि अमानवीय कुकर्मों को कानूनी वैधता दिलवाना इनके आसुरी अब्राहमिक चरित्र को उजागर करता है।
सनातनी धर्माचार्य अपने अनुयायियों को यह क्यों नहीं समझाते किये हुये कर्म का फल अवश्यंभावी है।इसकी कोई माफी नहीं होती है। इसलिये सर्वप्रथम अपने नित्यप्रति के आचरण, चाल-चलन, चरित्र आदि में सुधार करो। मोटे चढावे तथा चेलों की संख्या बढ़ाने के नशे में अपराधियों, बलात्कारियों, डकैतों, भ्रष्टाचारियों, चोरों आदि सभी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिये जा रहे हैं। यदि वास्तव में इनमें संतत्व होता तो ऐसे धूर्त और पापी लोगों को धक्के मारकर अपने आश्रमों से भगा दिया जाता। लेकिन इन धर्माचार्यों द्वारा तो ऐसे पापियों को पहली पंक्ति में सम्मान के साथ बिठाया जाता है तथा फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया जाता है। वैसे तो ये तथाकथित धर्माचार्य जनसाधारण को माया मोह से दूर रहने के उपदेश देते हैं लेकिन स्वयं धन दौलत और माया मोह को पाने के लोभ-लालच में भ्रष्टाचारियों, पापियों, डकैतों, अपराधियों और बलात्कारियों को पाप माफी का आशीर्वाद देते हैं। और फिर यही धर्माचार्य कहते हैं कि सनातन धर्म और संस्कृति मुसलमानों या ईसाईयों के कारण खतरे में है। वास्तव में सनातन धर्म और संस्कृति के लिये सबसे बड़ा खतरा ये धर्माचार्य स्वयं ही हैं।अपनी गलतियों, पापों, अपराधों और कुकर्मों को छिपाने के लिये ये क्या क्या नहीं करते हैं?
पूजा-स्थलों में जाना अतीत में किये गये पापों की माफी के लिये होता है या फिर वर्तमान में अनैतिक कर्म नहीं करने का संकल्प लेने के लिये होता है या परमात्मा ने आज तक जो भी दिया है, उसके लिये धन्यवाद ज्ञापित करने के लिये होता है? सनातनियों ने अपनी सनातनी मर्यादा को भूलाकर अतीत में किये पाप कर्मों की माफी मांगने या फिर भविष्य में सफलता प्रदान करने के लिये पूजा-स्थलों पर जाना शुरू किया हुआ है। परमात्मा को भी प्रलोभन देते हैं कि यदि मेरी इच्छा पूर्ण हुई तो आपको ये चढ़ाया चढ़ा दूंगा/दूंगी। परमात्मा तुम्हारे चढावे का भूखा बैठा या तुम्हारी भक्ति का भूखा है या फिर वह तुमसे कुछ अन्य ही चाहता है? अपने अंधे अनुयायियों की वासना, कामना और प्रलोभन का फायदा उठाने के लिये बाबा, धर्माचार्य, सद्गुरु, साईं, कथाकार, तांत्रिक, ज्योतिषी, पर्चा निकालने वाले, मौलवी, फकीर, पादरी खूब नौटंकी खेलते हैं। खुद बिमार होने पर हस्पताल में चिकित्सा करवाते हैं लेकिन भक्तों के कैंसर, टीबी, अस्थमा,शूगर, गठिया,कोरोना तक की घातक बिमारियों को गदा , चालीसा,मोरपंख , ताबीज ,चद्दर , यंत्र,मंत्र, तंत्र,शक्तिपात, भभूत चटाकर, चिमटा मारकर,मुंह में थूककर ,गोद में बिठाकर, आलिंगन में लेकर आदि के चमत्कार से तुरंत ठीक कर देते हैं।जो जितना बड़ा पाखंडी और झूठा होता है उसके पास उतनी ही अधिक भीड़ होती है। किसी ने प्रश्न उठाया तो धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं।बस, चुपचाप इस मूढ़ता को देखते रहो। ज़बान हिलाना भी मना है।
सनातन धर्म और संस्कृति के इन तथाकथित ठेकेदारों ने मज़ाक का विषय बनाकर रख छोड़ा है। इन्होंने कर्म और कर्मफल व्यवस्था को बिल्कुल तहश नहश कर दिया है। परमात्मा और मनुष्य के बीच में अनगिनत मध्यस्थ और दलाल पैदा हो गये हैं। भक्तों को जो कुछ भी कामना पूरी करवानी है या फिर पाप माफी करवानी है तो आप सीधे परमात्मा से नहीं मिल सकते हैं। सब्जी मंडी और अनाजमंडी की तरह से मध्यस्थ और दलालों का आपको सहारा लेना ही पडेगा।
सनातन धर्म और संस्कृति में पुरुषार्थ का सर्वाधिक महत्त्व है। हमारे तथाकथित राजनीतिक बाबाओं ने पुरुषार्थ को उपेक्षित करके सनातन धर्म को एक कट्टर मजहब या संप्रदाय या कल्ट में परिवर्तित कर दिया है।आप सीधे परमात्मा से नहीं मिल सकते हैं। आपको परमात्मा की अनुभूति के लिये दलालों का या अवतारों का या पैगंबरों का या मसीहाओं या तारणहारों की शरण में जाना ही होगा। वेदों, उपनिषदों, दर्शनशास्त्रों, स्मृतियों आदि ग्रंथों को परे फेंककर बाबाओं ने सनातन धर्म को एक दुकानदारी बना दिया है।इन बाबाओं से आप मनचाही कामनाओं को पूरा कर सकते हैं।ये बाबा लोग सनातन धर्म और संस्कृति पर कुंडली मारकर बैठ गये हैं। सनातन धर्माचार्यों की जगह पर राजनीतिक बाबा लोगों को स्थापित करके पुरातन परंपरा को नष्ट किया जा है। अभी संघ के सर्वेसर्वा मोहन भागवत का बयान आया है कि सनातन शास्त्रों को दोबारा से लिखा जाना चाहिये। यानी ये अपनी सुविधानुसार और राजनीतिक लाभ अनुसार सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करने पर आमादा हैं। सनातन शास्त्रों को बदलने का इनको किसने दिया है? वक्फ बोर्ड को कानूनी रूप देकर इन्होंने सनातनियों की बहुत सी जमीन जायदाद पर मुसलमानों का एकाधिकार स्वीकार कर लिया है।इनके शासन के दौरान वक्फ बोर्ड की जायदाद दोगुना हो चुकी है। भारत के बहुसंख्यक सनातनियों को कमजोर करने पर वामपंथी, दक्षिणपंथी आदि सभी पूरी ताकत से लगे हुये हैं। लगता है कि सनातन विरोधी पाप कर्मों लिव-इन रिलेशनशिप, समलैंगिकता, गौहत्या, गौमांस भक्षण, शास्त्रों में फेरबदल, गुरु परंपरा की समाप्ति, पूजा-स्थलों के विध्वंस, वैदिक आचार विचार को उपयोगितावादी बनाने को जायज और संवैधानिक बनाकर वेदों -उपनिषदों- दर्शनशास्त्रों -स्मृतियों- महाकाव्यों-चिकित्सा ग्रंथों आदि को म्लेच्छ रुप देना इनकी मानसिकता प्रकट हो रही है। पता नहीं ये किन गुप्त भारत -भारतीय -भारतीयता विरोधी शक्तियों के दबाव में काम कर रहे हैं? अधिकांश पौराणिक संगठन, आश्रम,मठ, कथावाचक, सुधारक, शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, आचार्य , योगाचार्य आदि तो चुप हैं ही,सबसे अधिक आश्चर्यजनक आर्यसमाज संगठन की चुप्पी है। लगता है कि अधिकांश सनातनी कहलवाने वाले बाबा लोग सरकारी बाबा बनकर काम कर रहे हैं।इनको सनातन धर्म और संस्कृति की कोई चिंता नहीं है।
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आचार्य शीलक राम
दर्शनशास्त्र विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय