sp52 जीजा से फूफा/ दूल्हा बैठ गया
sp52 जीजा से फूफा/ दूल्हा बैठ गया
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जीजा से फूफा हुए समय ने खेला खेल
हाथ में आई आपके टूटी हुई गुलेल
टूटी हुई गुलेल रहे ना किसी काम के
नहीं लगाता दाम कोई पिलपिले आम के
कवि कहता है मन में धीरज धारण करिए
ससुराल में नहीं कदम बिन कारण धरिए
सम्मान से अगर बुलाए जाये चले जाइए
बैठ के अपने कमरे में सच गुनगुनाइये
अजब बुढ़ापा गजब बुढ़ापा हाहाकारी
जपिये प्रभु का नाम आने वाली है पारी
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दूल्हा बैठ गया घोड़ी पर रिसियाये हैं फूफा जी
पूरा मान न मिल पाने पर खिसियाये हैं फूफा जी
याद कर रहे अपने दिन जब वे बारात ले आए थे
आज उन्हीं कमियों को सोचकर झल्लाये हैं फूफा जी
कहा गया था पगड़ी बांधे साथ में कोई गीत सुनायें
बहुत पुराना फिल्मी गाना गा पाए हैं फूफाजी
ओढ़े हैं रजाई गर्मी में अपनी खीझ मिटाने को
बारी-बारी सबने बुलाया तब आए हैं फूफा जी
उनको सभी गलतियां अपनी याद आ रही जब जब भी
सोच सोच कर हर गलती को घबराए हैं फूफा जी
बहुत देर हो रही लगन में उन पर ठीकरा फूटेगा
इसीलिए तो जोर-जोर से गुर्राये हैं फूफा जी
और नहीं अब कोई सुनेगा सबसे कह कर हार गए
तब अपनी पत्नी के ऊपर चिल्लाए हैं फूफा जी
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब