विवेकानंद

दिनांक-12 जनवरी 2025
दिन- रविवार
शीर्षक- #विवेकानंद
भारत की पावन धरती पर,
ऐसा एक सपूत हुआ
12 जनवरी 1863 में,
पैदा वह अवधूत हुआ।
पिता श्री विश्वनाथ दत्त
भुवनेश्वरी थीं महतारी।
जन्मस्थली कलकत्ता थी,
हर्षित थे नर-नारी।।
नाम नरेंद्र चंचल वो बालक,
हमजोली सरताज था।
कुश्ती लाठी मुक्केबाजी,
हर दिल वो हमराज था ।।
साहित्य,कला, गणित, विज्ञान,
अभिनय में प्रवीण रहा।
इतिहास, दर्शन, अंग्रेजी में,
ज्ञानी बड़ा गंभीर रहा ।।
कालचक्र से हुआ प्रभावित,
आयी एक विपदा भारी।
उठा पिता का साया सिर से,
माता भी अब स्वर्ग सिधारी।।
दुःख से वो उद्विग्न हो उठा,
मन ईश्वर में लग जाता है।
रामकृष्ण को गुरु बनाया,
अध्यात्म से जुड़ जाता है।।
मानस पुत्र बना वो उनका,
नाम विवेकानंद हुआ।
धर्म, कर्म की ज्योति जली,
सेवा कर सच्चिदानंद हुआ।।
अमेरिका के शिकागो में ,
भारत का परचम लहराया।
शून्य से ब्रह्मांड तक,
वेदों का सार भी बतलाया।।
क्या हिंदू है? क्या है हिंदी?
समझो तो सब नर नारी।
बस वसुधैव कुटुम्बकम ही,
सुन्दर है संस्कृति हमारी ।।
भारत का वो युवा सपूत,
भारत का मान बढ़ाया है।
भावी कितनी युवा पीढ़ी को,
राह नई दिखलाया है।।
@स्वरचित व मौलिक
कवयित्री: शालिनी राय ‘डिम्पल’🖊️
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।