तरुणाई इस देश की
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
सच्चे देशभक्त आजादी के मतवाले
चखा कहां कब इश्क़ ने,जाति धर्म का स्वाद
गज़ल
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
चमचा चमचा ही होता है.......
सिर्फ काबिल बनने से घर चलते है
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
मन क्या है मन के रहस्य: जानें इसके विभिन्न भाग। रविकेश झा
“अविस्मरणीय पल: मेरा प्रमोशन” (फौजी संस्मरण)
*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,