Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2024 · 1 min read

हरीतिमा हरियाली

हरीतिमा हरियाली वाली हरी शबनमी घास
नयनों को अति भा रहा यह नजराना खास
पेड़ों की हरी पत्तियांँ लहराते ऊंचे-ऊँचे बाँस
प्रकृति के आनंद को लेने करते रहें प्रयास

प्रकृति की अनुपम छटा बिखरी आसपास
कोयल और पपीहा की धुन आ रही रास
काली घटायें देखकर मोर नाच रहे वनों में
दादुर लगे टर्राने जल भरे खेत खलिहानों में

वन उपवन में खिले हुए हैं रंग-बिरंगे फूल
भंवरे उन पर घूम रहे लेने पराग की धूल
ओम् ओम् की ध्वनि गूँज रही चहुँ ओर
पंछियों के कलरव का फैल रहा मधुर शोर

ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश

Language: Hindi
107 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
View all

You may also like these posts

ज़िंदा   होना   ही  काफी  नहीं ,
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
बारिश की मस्ती
बारिश की मस्ती
Shaily
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रिश्ते निभाने के लिए,
रिश्ते निभाने के लिए,
श्याम सांवरा
" समाहित "
Dr. Kishan tandon kranti
*शंका समाधान चाहता है*
*शंका समाधान चाहता है*
Ghanshyam Poddar
हजारो परेशानियों के बाद भी
हजारो परेशानियों के बाद भी
ruchi sharma
ये जिन्दगी जनाब है,यहाँ बहुत  सवालों के जवाब खुद ही मिल जाया
ये जिन्दगी जनाब है,यहाँ बहुत सवालों के जवाब खुद ही मिल जाया
Brandavan Bairagi
मज़दूर
मज़दूर
Neelam Sharma
प्रकृति इस कदर खफा हैं इंसान से
प्रकृति इस कदर खफा हैं इंसान से
Harinarayan Tanha
भूमिका
भूमिका
अनिल मिश्र
गूंगा ज़माना बोल रहा है,
गूंगा ज़माना बोल रहा है,
Bindesh kumar jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
..
..
*प्रणय प्रभात*
स्वतंत्रता भगवती
स्वतंत्रता भगवती
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना
झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना
Rakshita Bora
कितनी भी दुनियादारी रख
कितनी भी दुनियादारी रख
अरशद रसूल बदायूंनी
कंडक्टर सा हो गया, मेरा भी किरदार
कंडक्टर सा हो गया, मेरा भी किरदार
RAMESH SHARMA
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
**** फागुन के दिन आ गईल ****
**** फागुन के दिन आ गईल ****
Chunnu Lal Gupta
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
VINOD CHAUHAN
ज़िंदगी का जंग
ज़िंदगी का जंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पागलपन की हदतक
पागलपन की हदतक
ललकार भारद्वाज
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
पूर्वार्थ
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
Ravi Betulwala
अब ये ना पूछना कि,
अब ये ना पूछना कि,
शेखर सिंह
Loading...