धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।
जीना चाहती हूं जिंदगी को अपने ही ढंग से
हम बच्चों को जितने का आत्मविश्वास दे रहे है क्योंकि हम उनको
We make Challenges easy and
सपने सुहाने
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
*गाली जब होती शुरू, बहस समझिए बंद (कुंडलिया)*
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
उसे बुला कर देखें कई,मर्तबा
मुझे अपने राजा की रानी बनना है