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22 Apr 2024 · 1 min read

पागलपन

पागलपन

बचपन की गुस्ताखियो को
आज़ पर ना हावि होने दूंगा।
भुल भविष्य का पता नही तंकलीबो को
वर्तमान की बैशाखी पर ना रहने दूंगा

हावि लगी मुझे भुत-भविष्य की साखियों से
दिमाग का सन्तुलन तो पागलपन है।

लोक लिहाज की कर चिन्ता
अपने-पन को खोया है।
संकल्प मन दृढ बनाकर
चिन्ता रख अपने लक्ष्य को खोया है।
हावि दिमाग पर भुत. भविष्य की साखियों से
दिमाग का असन्तुलन तो पागलपन है।
-आंखा में कड़ी मेहनत का प्रसाद
आज इन आंखो में दिखता है।
महसुस कर बिन सहमत का प्रासाद.
-खाली मन मे तानो का रिसाव उतरता है।

हावि दिमाग पर भुत भविष्य की साखियों से
बना दिमागी असन्तुलन तो पागलपन है।
दुस्सवार हुआ मेरा लक्ष्य प्राप्ति में,
प्रचण्ड रख आंखों में ज्वाला प्रतिद्वंदी का नाशक बना
ख्वाब मेरा टूटा नही लक्ष्य प्राप्ति में
रख सन्तुलन दिमाग तो आडम्बर का नाशक बना।
हावि दिमाग पर भूत- भविष्य की साखियों से
बना दिमागी असन्तुलन. तो पागलपन था।
विश्वास जगा मन में प्रतिकार करने का
छोटे – बडो का आदर छोड़ उनका मान तोड़ा था।
आडम्बर की आहट से धिक्कार सहने का
छोड़ बहाना शर्म हया का भान छोड़ा था !

Language: Hindi
Tag: Muktak
144 Views
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