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12 Feb 2024 · 1 min read

सावन झड़ी

सावन झड़ी लागी

उमड़ घुमड़ आए बदरा
चहुं ओर छाए बदरा
बिजुरी भी चमकन लागी
आई भीगी ऋतु सुहावनी
देखो कितनी मनभावन लागी
सावन की झड़ी लागी
गौरी झूलन को भागी
हाथ जोड़ बना के अंजुरी
नन्ही बुंदियाँ समेटन लागी
मृगनयनी अंखियों वाली
धीरे-धीरे पग धरे बाग में
पायलिया होले से छनक गई
प्रीत अगन मन में दहक गई
प्रियतम की याद मन में महक गई
गेसू से टप-टप बुंदिया टपक रहीं
लाल चुनरिया भीज के तन से लिपट गई
सज धज के धरती भी आज मुसकाई
देखो चहुं ओर हरियाली छाई
धुले धुले देखो निखरे हैं पात
रिमझिम में डूबे दिन रात

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