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24 Jan 2024 · 1 min read

बदली बारिश बुंद से

बदली बारिश बुंद से
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बदली बारिश बुंदन से
हर्षित मन हो जात।
तपन गर्मी जो लूं लगी
शांत हृदय हो जात।

तपन तेज ब्याकुल भई
भुमि होत अकुलान।
बुंदन बारिश होत अब
भए धरा जल जान।।

नव पल्लव आने लगी
होते ही बरसात ।
हरी भरी हरियाली हुई
चिड़ियां मन हरसात।।

जल स्तर भी उठने लगी
मयुर किया है नाच।
मृग मृगनी प्रेम मिलन
फुलवा दिये सुवास।।

बारिश का बुंद पायकर,
कृषक मन हरषाय।
लिए हल खेत पर गए
कृषि काम कर जाय।।

बदली बारिश बुंद से
धरा प्यास बुझ जाय।
कवि विजय की लेख सही
लिखत लिखत हरषाय।।

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