Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2024 · 1 min read

दूसरे का चलता है…अपनों का ख़लता है

दूसरे का मग़रुर होना चलता है
मगर अपनों का ग़ुरूर ख़लता है ।

दूसरे का अनर्गल प्रलाप चलता है
मगर अपनों का बुरा बोलना ख़लता है ,

दुसरे माल खायें पकवान खायें चलता है
मगर अपनों का भूखा रहना ख़लता है ,

दूसरे जालसाजी करें चलता है
मगर अपनों का कपट ख़लता है ,

दूसरे झूठ का पुलिंदे हों चलता है
मगर अपनों का असत्य ख़लता है ,

दूसरे डाका डालें डकैती करें चलता है
मगर अपनों का चोरी करना ख़लता है ,

दूसरे मतलबी हों स्वार्थी हों चलता है
मगर अपनों का खुदगर्ज़ होना ख़लता है ,

दूसरे प्रेम का पाखंड करें चलता है
मगर अपनों के प्रेम का ढ़ोंग ख़लता है ,

दूसरे जी भर कर बेईमानी करें चलता है
मगर अपनों का थोड़ा भी धोखा ख़लता है ,

दूसरे गर अपने हो जायें तो चलता है
मगर अपनों का पराया होना ख़लता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all

You may also like these posts

"जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे"
©️ दामिनी नारायण सिंह
3804.💐 *पूर्णिका* 💐
3804.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इश्क - इश्क बोल कर
इश्क - इश्क बोल कर
goutam shaw
सावन झड़ी
सावन झड़ी
Arvina
चलो रे काका वोट देने
चलो रे काका वोट देने
gurudeenverma198
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
2122 :1222 : 122: 12 :: एक बार जो पहना …..
sushil yadav
पावन सच्चे प्यार का,
पावन सच्चे प्यार का,
sushil sarna
कटलो से ना कटे जीनिगी
कटलो से ना कटे जीनिगी
आकाश महेशपुरी
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
*प्रणय प्रभात*
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो
शेखर सिंह
- उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए -
- उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए -
bharat gehlot
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
वो सौदा भी होगा इक रोज़,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बात आज भी  होती हैं उनसे
बात आज भी होती हैं उनसे
ruchi sharma
मां
मां
ARVIND KUMAR GIRI
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
Meenakshi Masoom
2122/2122/212
2122/2122/212
सत्य कुमार प्रेमी
प्रधान मंत्री अटल बिहारी
प्रधान मंत्री अटल बिहारी
manorath maharaj
चाँद पर तिरंगा
चाँद पर तिरंगा
Savitri Dhayal
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
Ajit Kumar "Karn"
हाइकु -तेरे भरोसे
हाइकु -तेरे भरोसे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तपन
तपन
Vivek Pandey
चुनौतियाँ
चुनौतियाँ
dr rajmati Surana
हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।
हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई।
अनुराग दीक्षित
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"चुनौतियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्हें सिखाया तैरना, दरिया में हर बार
जिन्हें सिखाया तैरना, दरिया में हर बार
RAMESH SHARMA
Elegant rules
Elegant rules
Shashi Mahajan
Loading...