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16 Dec 2024 · 1 min read

दर्द से खुद को बेखबर करते ।

दर्द से खुद को बेखबर करते ।
ज़िन्दगी ख़्वाब में बसर करते ।।

तुमको मिलती न फिर कोई मंज़िल ।
इश्क़ में तुम अगर सफ़र करते ।।

ज़िक्र होता, कहीं बिछड़ने का ।
अपने दामन को अश्क़ – तर करते ।।

तर्क रिश्ता लगा मुनासिब सा ।
कितना खुद पे भी हम ज़बर करते ।।

दर्द से खुद को बेखबर करते ।
ज़िन्दगी ख़्वाब में बसर करते ।।

Dr fauzia Naseem shad

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