Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2024 · 1 min read

मेरे उर के छाले।

मेरे उर के छाले।

जग-जग जाते जख्म निरंतर
पीर असह से भरता अंतर,
दिखा-दिखाकर स्वप्न सजीले छलते रहे उजाले
मेरे उर के छाले।

समय क्षुब्ध के निष्ठुर झोंके
अवरोधों का हठ पग रोके,
जिस दर हमने सब कुछ खोया,वहीं लगे हैं ताले
मेरे उर के छाले।

देख मुझे शशि और सितारे
बरसाते छुप – छुप अंगारे,
उमड़ -घुमड़कर गरज रहे हैं मेघ गगन के काले
मेरे उर के छाले।

घर-आँगन, दर, ड्योढी निर्जन
नित्य विपद के भीषण गर्जन,
भाग्य निरंतर अपने मुख पर अवगुंठन है डाले
मेरे उर के छाले।

अनिल मिश्र प्रहरी।

Language: Hindi
283 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Anil Mishra Prahari
View all

You may also like these posts

ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
sushil yadav
सांवरिया
सांवरिया
Dr.Pratibha Prakash
अनकही दोस्ती
अनकही दोस्ती
राजेश बन्छोर
तो मोहब्बत पर सुनिएगा....💞
तो मोहब्बत पर सुनिएगा....💞
पूर्वार्थ
International Yoga Day
International Yoga Day
Tushar Jagawat
खिंची लकीर
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
- वीर शिरोमणी मंडोर प्रधान राव हेमाजी गहलोत -
- वीर शिरोमणी मंडोर प्रधान राव हेमाजी गहलोत -
bharat gehlot
"गूगल से"
Dr. Kishan tandon kranti
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
*सत्य-अहिंसा की ताकत से, देश बदलते देखा है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हर एक मुलाकात, पैसे पर ठहर जाती है।
हर एक मुलाकात, पैसे पर ठहर जाती है।
श्याम सांवरा
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
क्या रखा है? वार में,
क्या रखा है? वार में,
Dushyant Kumar
आखिर क्यों मर्द बेचारे नहीं होते?
आखिर क्यों मर्द बेचारे नहीं होते?
Rekha khichi
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम  हमारे नाम कर दिया
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम  हमारे नाम कर दिया
Atul "Krishn"
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
Neeraj kumar Soni
संविद गुरुकुलम :- एक नयी शुरुआत
संविद गुरुकुलम :- एक नयी शुरुआत
मनोज कर्ण
धुंधली छाया,
धुंधली छाया,
meenu yadav
आम
आम
अनिल कुमार निश्छल
गीत- मुबारक जन्मदिन तुमको...
गीत- मुबारक जन्मदिन तुमको...
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
Ranjeet kumar patre
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अपना पद अउर कद के खयाल जरूर रहो
अपना पद अउर कद के खयाल जरूर रहो
अवध किशोर 'अवधू'
घनाक्षरी
घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
रेशम की डोर राखी....
रेशम की डोर राखी....
राहुल रायकवार जज़्बाती
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Rajesh Kumar Kaurav
..
..
*प्रणय प्रभात*
पलके  बिछाये
पलके बिछाये
हिमांशु Kulshrestha
In desperation of unwillingness to adapt the subtle emotions
In desperation of unwillingness to adapt the subtle emotions
Chaahat
Loading...