पलके बिछाये

पलके बिछाये
अक्सर महफ़िल में ढूँढा करता हूँ तुम्हे,
तन्हाइयों में दिल की ढूंढता रहता हूँ तुम्हे
तुम पास हुआ करती थी कभी बहुत मेरे
उतनी ही दूर निकल गयी हो अब तुम मुझ से
ज़ुदा जो हुई हो तुम जबसे
ये आँखे पुरनम हुईं है तबसे
जानता हूँ कभी नहीं आओगी तुम
फ़िर भी….
हर शक्ल में अक्स तुम्हारा ढूँढता हूँ मैं
हिमांशु Kulshrestha