सारे गीत समर्पित तुझको।
सारे गीत समर्पित तुझको।
आंसू व मुस्कान दिए हैं पूरित इनसे गान दिए हैं,
भावों की अनदेखी गलियां व राहें अनजान दिए हैं,
शूल मिले हैं फूल खिले हैं जो भी है सब अर्पित तुझको।
सारे गीत समर्पित तुझको।
शब्दों के प्यालों ें आंसू भर देने का ज्ञान सिखाया,
सारे जग में बांट सकू मैं इतना है धनवान बनाया,
लुट जाने की कला सीख ली क्या करना अब अर्जित मुझको।
सारे गीत समर्पित तुझको।
कोरे पन्नों ‘को जीवित कर मैं जीवन से भर जाता हूं,
भावों शब्दों के संगम पर जाता, गाता, इतराता हूं।
एक अनूठे महाकुंभ के सारे पुण्य समर्पित तुझको।
– कुमार कलहंस –