” नवा बिहनिया खातिर “
” नवा बिहनिया खातिर ”
भूल-चूक होय होही
तेन ल छिमा करिहौ संगवारी,
साल बदलत हे
लकिन साथ नइ बदलत हे,
ए सुरता रखिहौ
हमन ल संग-संग चलना हे,
अउ दीया कस जलना हे..।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
” नवा बिहनिया खातिर ”
भूल-चूक होय होही
तेन ल छिमा करिहौ संगवारी,
साल बदलत हे
लकिन साथ नइ बदलत हे,
ए सुरता रखिहौ
हमन ल संग-संग चलना हे,
अउ दीया कस जलना हे..।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति