वो अगर शेर कह रही होगी

वो अगर शेर कह रही होगी
मुझको गजलों में ढालती होगी
मेरी तस्वीर में वो पलकों से
हिज्र¹ के रंग भर रही होगी
उसका कमरा है इसलिए रोशन
मेरी यादों की चांदनी होगी
दिल की तस्कीन² के लिए अपनी
मुझसे ख्वाबों में लड़ रही होगी
चोट ऐसी लगी मुहब्बत में
अब किसी से न दिल्लगी होगी
हमसे बिछड़े तो ये समझ लेना
जिंदगी फिर न जिंदगी होगी
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हिज्र=जुदाई, अकेलापन, तस्कीन=तसल्ली