नववर्ष की खुशियां
यह विडंबना नहीं तो और क्या है
कि हम आंग्ल नववर्ष के स्वागत में
पलक पाँवड़े बिछा देते हैं,
हफ्तों पूर्व योजनाएँ बनाने लगते हैं
तरह तरह के दिखावटी आयोजन के चक्कर में
जाने कितना धन फूँक देते हैं,
तरह तरह की पार्टियां करते हैं,
हुल्लड़ और हुड़दंग करते हैं
अनियंत्रित वाहन चलाते, स्टंट करते
औरों की जान जोखिम में डालकर खुश होते हैं,
दारु शराब नववर्ष की खुशी के नाम पर पीते हैं।
नववर्ष के आगमन स्वागत में
इस कदर उत्साह में बावले हो जाते हैं
कि नियम कानून तक भूल जाते हैं
जोश में होश खो बैठते,
मान- मर्यादाएं तक भंग करने से भी
हम भला कब और कहाँ चूकते हैं।
जबकि हिन्दू नववर्ष को या तो भूल जाते हैं
या चलते फिरते सिर्फ औपचारिकता निभा कर
बहुत बहुत बहुत खुश हो जाते हैं।
आंग्ल नववर्ष को इतना मान
और हिन्दू नववर्ष का अपमान
सिर्फ और सिर्फ हमीं कर सकते हैं।
वैसे भी हमसे इससे ज्यादा की उम्मीद भी मत करना
क्योंकि अपने जीवन में भी हम ऐसा ही करते हैं,
आज में खुश रहने का विचार करने और
अपने वाले कल को लेकर हम उत्साहित कब रहते हैं?
आज के लिए ईश्वर का धन्यवाद तक नहीं करते
क्योंकि हम औरों के चूल्हे पर
अपनी खिड़की पकाने के आदी जो हो गए हैं।
मुझे किसी से कोई शिकवा शिकायत तो नहीं है
क्योंकि इसका कोई सार्थक हल भी तो नहीं है।
मगर एक बार आप सब जरुर सोचिए
और नववर्ष का स्वागत अभिनंदन कीजिए
बधाइयां शुभकामनाएं दिल खोलकर दीजिए
बड़ों का सम्मान छोटों को आशीर्वाद देकर
नववर्ष में अपने और अपनों के साथ
राष्ट्र, समाज के लिए भी
अपने कुछ मापदंड भी तय कीजिए,
साथ ही यह भी कि आंग्ल नववर्ष की आड़
में हिंदू नववर्ष का महत्व भी फीका न होने देंगे
यह संकल्प भी आप सब मिलकर लीजिए,
अपने सनातनी नववर्ष को आंग्ल नववर्ष की तरह ही
भरपूर मान सम्मान दीजिए,
नववर्ष को छोटा बड़ा अपना पराया,
हिंदी अंग्रेजी मान अपमान के तराजू में मत तौलिए,
और नववर्ष पर अनंत अशेष बधाइयाँ शुभकामनाएँ
मेरी ओर से भी स्वीकार कीजिए,
और नववर्ष के आगमन पर जी भरकर
नाचिए, गाइए और खुशियाँ मनाइए।
सुधीर श्रीवास्तव