Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Dec 2024 · 1 min read

‌‌गीत ‌‌ ‌‌‌‌‌‌(होली के रंग में)

गुरमत के रंग में रंग दो, गुरु जी मेरा मन।
गुरु जी मेरा मन, प्रभु जी मेरा मन।
अपने ही रंग में रंग दो, प्रभुजी मेरा मन।
जब मेरा मन गुरमत से नाटै।
सत्संग मे जाने से फाटै।
अपने ही वचनो से डांटै, गुरु जी मेरा मन। (१)
घर में किसी दूजे को ना चाहवे,
गुरु सिख की सेवा ना भावे।
मन का ये भाव मिटावे, गुरु जी मेरा मन। (२)
भाई कन्हैया जैसा कर दो, ।
गुरमत कूट_ कूट कर भर दो।
जिन्ना बाई जैसा वर दो, गुरु जी मेरा मन। (३)
धैर्य थिरू बल्लूवर जैसा, ।
मंगू बोल शहंशाह जी जैसा ।
भक्ती रविदास जी की भर दो,गुरु जी मेरा मन।( ४)
गुरमत के रंग में रंग दो गुरु जी मेरा मन।

32 Views

You may also like these posts

कान्हा महाजन्माष्टमी है आज,
कान्हा महाजन्माष्टमी है आज,
Chaahat
गर्म स्वेटर
गर्म स्वेटर
Awadhesh Singh
मौलिक सृजन
मौलिक सृजन
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
"हाउसवाइफ"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रे इन्सा क्यों करता तकरार*
*रे इन्सा क्यों करता तकरार*
Dushyant Kumar
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
द्रौपदी का रोष
द्रौपदी का रोष
Jalaj Dwivedi
सम्मस्या और समाधान
सम्मस्या और समाधान
Ram Krishan Rastogi
अम्बर में लटके शब्द
अम्बर में लटके शब्द
Kapil Kumar Gurjar
तृष्णा का थामे हुए हाथ
तृष्णा का थामे हुए हाथ
Shally Vij
शिक्षा ही जीवन है
शिक्षा ही जीवन है
SHAMA PARVEEN
रखो वक्त निकाल कर  नजदीकिया और  निभा लो अपनापन जो भी रिश्ते
रखो वक्त निकाल कर नजदीकिया और निभा लो अपनापन जो भी रिश्ते
पूर्वार्थ
वक़्त और नसीब
वक़्त और नसीब
gurudeenverma198
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
शुरूआत
शुरूआत
NAVNEET SINGH
3736.💐 *पूर्णिका* 💐
3736.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आकाश पढ़ा करते हैं
आकाश पढ़ा करते हैं
Deepesh Dwivedi
*बहुत सौभाग्यशाली कोई, पुस्तक खोल पढ़ता है (मुक्तक)*
*बहुत सौभाग्यशाली कोई, पुस्तक खोल पढ़ता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप
लक्ष्मी सिंह
सामाजिक संस्कारों का पतन:
सामाजिक संस्कारों का पतन:
जगदीश शर्मा सहज
पल को ना भूलो
पल को ना भूलो
Shashank Mishra
मंगला गौरी
मंगला गौरी
Rambali Mishra
*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"उम्रों के बूढे हुए जिस्मो को लांघकर ,अगर कभी हम मिले तो उस
Shubham Pandey (S P)
मेरे जाने की फ़िक्र
मेरे जाने की फ़िक्र
Sudhir srivastava
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Loading...