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28 Feb 2024 · 1 min read

एक ज़िद थी

एक ज़िद थी
जो टूट गई
खुशनुमा हुआ करती थी
शाम, जो खो गई
एक साथ था मनभावन
वो छूट गया
एक राह चलना चाहते थे
जो हम साथ साथ
हुआ करती थी गुलस्ता सी
साथ भी ख़त्म हुआ
राह हुई बेनूर
मुहब्बत जिसे जीता रहा
उम्र भर
खाक हुई
एक ज़िंदगी थी मेरी
जो भ्रम थी, अब राख हुई

हिमांशु Kulshrestha

1 Like · 215 Views

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