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25 Jan 2025 · 1 min read

आज नहीं कल जागूँगा

आज नहीं कल जागूँगा
फोन लिया और कल गुजर गया
फिर से गुजरा कल आया जो कल
वक्त की कदर न करते- करते
दिन गुजरा और फिर कल गुजर गया
बस ढ़लते-ढ़लते अतीत में, जवां भी जर गया
फिर सोचा कल निखरूंगा पर कल गुजर गया

~जितेन्द्र कुमार “सरकार”

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