Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2024 · 1 min read

उसने अपना पसीना बहाया है

उसने अपना पसीना बहाया है,
ताकि उसके मन को संतोष हो,
उसने खुद को सक्षम बनाया है,
वह निर्भर नहीं हो दूसरों पर,
उसने अपना पसीना बहाया है।

उसने नहीं छोड़ी मेहनत,
ताकि वह असफल नहीं हो,
उसकी योग्यता की कद्र हो,
समाज में उसका भी मुकाम हो,
उसने अपना पसीना बहाया है।

वह कई दिनों तक भूखा रहा है,
और अपने खून से अपने चमन को,
सींचता रहा है वह आज तक,
ताकि वह गुलजार रहे कल भी,
उसने अपना पसीना बहाया है।

उसने जागकर बिताई है अपनी रातें,
ताकि वह भविष्य में चैन से सो सके,
उसने किनारा किया है रिश्तेदारों से,
ताकि दोस्त उसका साथ नहीं छोड़े,
उसने अपना पसीना बहाया है।

फिर भी सोचता है वह आज भी,
रात को वह देर तक जागकर,
लेकिन क्यों ? और किसके लिए ?
जबकि छोड़ चुके हैं उसको सभी,
और कोई भी नहीं है उसके साथ,
उसने अपना पसीना बहाया है।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अनुरोध किससे
अनुरोध किससे
Mahender Singh
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
🌺🌻 *गुरु चरणों की धूल*🌻🌺
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
माॅ प्रकृति
माॅ प्रकृति
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
देश धरा निज धर्म हित, होते सुत बलिदान।
देश धरा निज धर्म हित, होते सुत बलिदान।
संजय निराला
पीड़ाओं के संदर्भ
पीड़ाओं के संदर्भ
दीपक झा रुद्रा
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
31/05/2024
31/05/2024
Satyaveer vaishnav
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
ढोल  पीटते हो  स्वांग रचाकर।
ढोल पीटते हो स्वांग रचाकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
The best time to learn.
The best time to learn.
पूर्वार्थ
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
Sunil Maheshwari
क्यों
क्यों
विवेक दुबे "निश्चल"
ज़िन्दगानी में
ज़िन्दगानी में
Dr fauzia Naseem shad
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
Ranjeet kumar patre
#जयंती_आज
#जयंती_आज
*प्रणय प्रभात*
कहने को बहुत कुछ है मेरे पास
कहने को बहुत कुछ है मेरे पास
ruchi sharma
चौपाई
चौपाई
seema sharma
ओ मैना चली जा चली जा
ओ मैना चली जा चली जा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
तुम ही
तुम ही
महेश चन्द्र त्रिपाठी
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
कुंभ मेला और सुंदरी
कुंभ मेला और सुंदरी
आकाश महेशपुरी
रिश्तों की बेशक न हो, लम्बी-खड़ी कतार
रिश्तों की बेशक न हो, लम्बी-खड़ी कतार
RAMESH SHARMA
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
प्रबल वेग बरसात का,
प्रबल वेग बरसात का,
sushil sarna
Window Seat
Window Seat
R. H. SRIDEVI
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
शिव प्रताप लोधी
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आत्मा की गूंज
आत्मा की गूंज
Rambali Mishra
Loading...