Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2025 · 5 min read

सनातन धर्म और संस्कृति पर मंडराता एक और बड़ा खतरा (Another big threat looming on Sanatan religion and ulture)

धर्म, धार्मिकता और धर्मांधता में फर्क होता है!किसी वाद, मत, सिद्धांत,संप्रदाय, विचार को मानना गलत नहीं है!धर्म को जानकर उसे आचरण में उतारना आवश्यक होता है! इससे व्यक्ति में धार्मिकता की बढोतरी होती है!धर्म और धार्मिकता में धर्मांधता खतरनाक है! धर्म और धार्मिकता में धार्मिक कट्टरता नहीं होती है!यह धार्मिक कट्टरता धर्मांधता में बदल जाती है!कट्टरता में ‘मैं सही बाकी सब गलत’ मानने की प्रवृत्ति होती है!धर्म को तो धारण किया है! धर्म का तो साक्षात्कार करना होता है! धर्म तो अस्तित्व का स्वभाव यानि होना होता है!लेकिन वाद के प्रति वादाग्रह, मत के प्रति मताग्रह, सिद्धांत के सिद्धांताग्रह,संप्रदाय के प्रति सांप्रदायिक आग्रह, विचार के विचाराग्रह कट्टरता को बढ़ावा देता है!कट्टरता तो कहीं भी सही नहीं होती है!किसी भी वाद, मत,सिद्धांत, विचार, संप्रदाय या स्वपक्ष में कट्टरता खतरनाक होती है! इनके अनुसार हम संकुचित हो जाते हैं! पर और विपक्ष दोनों में संतुलन ही तो किसी व्यक्ति को निष्पक्ष बनाता है! लेकिन निष्पक्ष व्यक्ति पक्ष और विपक्ष दोनों के प्रति सम्मान और समान दृष्टि से देखता है!
किसी व्यक्ति को वीतराग बनाती है राग और विराग में संतुलन की साधना!ओशो के अनुसार रागी और विरागी दोनों एक समान हैं! दोनों का संबंध संसार या किसी बाहरी विषय से होता है! लेकिन वीतरागी दोनों से पार हो जाता है! वीतरागी संतुलन साध लेता है! वीतरागी निष्पक्ष और निष्काम हो जाता है! रागी और विरागी दोनों संसारी हैं जबकि वीतरागी ही आध्यात्मिक होता है! आत्मस्वरूप की अनुभूति के लिये साधक को वीतरागी होना पडेगा!
महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र,1/37 में कहा है- ‘वीतरागविषयं वा चित्तम्’
अर्थात् वीतरागी महापुरुषों में चित् को लगाने से भी ध्यान लग जाता है!क्या प्रयागराज महाकुम्भ में कोई ऐसा सिद्ध युगपुरुष मौजूद है जिस पर चित्त को लगाया जा सके? इसका उत्तर ‘ना’ में ही मिलेगा! तो फिर ये लाखों साधु दिखने वाले लोग क्या कर रहे हैं!
यदि आपको शारीरिक रूप से निरोग और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना हैं तो प्रतिदिन चौबीस घंटे में से डेढ घंटा योगाभ्यास के लिये अवश्य निकालकर रखना!आप कोशिश करें कि सनातन ऋषि, महर्षि, राजर्षि, योगियों वाला योगाभ्यास ही किया जाये! समकालीन बाबाओं,योग गुरुओं और व्यापारी योग शिक्षकों के बताये अशुद्ध और विकृत योगरुपी व्यायामयोग और श्वासयोग से बचकर रहें! किसान नेता डल्लेवाल 77 दिन से बिना खाये पीये धरने पर सही सलामत हैं! लेकिन हमारे तथाकथित पूज्यपाद योगीराज बाबा लोग तो एक सप्ताह की भूख हड़ताल पर ही बेहोश होकर हस्पताल पहुँच जाते हैं!कौन बड़ा योगी है- डल्लेवाल या ये तथाकथित लाखों करोड़ के मालिक बाबा लोग? नकली योगियों ने सनातन योग को खूब बदनाम किया है!
आदि शंकराचार्य ने धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता की स्थापना के लिये आज से 2500 वर्षों पहले भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की थी!इस व्यवस्था में जब से संघ जैसे नकली सांस्कृतिक संगठनों का दबाव बढ़ा है, तब से यह व्यवस्था विकृत होकर रह गई है!आज भारत में 450 के लगभग राजनीति द्वारा उकसाये गये स्वघोषित शंकराचार्य मौजूद हैं! ये सभी खुद को जगद्गुरु मानते हैं! इनको इतनी भी समझ नहीं है कि ये अपनी इन हरकतों की वजह से सनातन धर्म और संस्कृति का उपहास करके इन्हें कमजोर कर रहे हैं! पहले सनातन धर्म की सारी व्यवस्था पर चार शंकराचार्यों का नियंत्रण होता था, लेकिन अब आदि शंकराचार्य द्वारा राष्ट्र रक्षार्थ तैयार विभिन्न अखाडों ने अपने आपको उस सनातन व्यवस्था से अलग कर दिया है! इससे भी सनातन धर्म कमजोर हुआ है! ये अखाड़े और शंकराचार्य खुद ही परस्पर पद,प्रतिष्ठा,पीठाधीश्वर और प्रसिद्धि पाने की लालसा में न्यायालयों के चक्कर काट रहे हैं! ये खुद ही कुत्ते बिल्लियों की तरह परस्पर लड रहे हैं! खुद को असली और दूसरे को नकली शंकराचार्य, पीठाधीश्वर या धर्माचार्य बतलाना यह सिद्ध करता है कि इन्हें सनातन धर्म और संस्कृति की हित की कोई चिंता नहीं है!जब भी महाकुम्भ होता है तो ये उसे ही 144 वर्षों में आनेवाला महाकुम्भ घोषित कर देते हैं! पता नहीं यह किस ज्योतिषीय गणना के अनुसार होता है! इससे ये खुद को तो उपहास का पात्र बनाते ही हैं, इसके साथ साथ सनातन धर्म और संस्कृति का भी उपहास करवा रहे हैं!पिछले कई दशकों से सनातन धर्म के शंकराचार्यों,जगद्गुरुओं, पीठाधीश्वरों, संतों, स्वामियों, संन्यासियों की व्यवस्था में धर्म, संस्कृति, अध्यात्म, योग, साधना और राष्ट्रवाद कम है तथा राजनीतिक महत्वाकांक्षा अधिक मौजूद है! संघ जैसे संगठनों द्वारा सनातन की इस परंपरा को नष्ट करके अपने खुद के अयोग्य व्यक्तियों को शंकराचार्य,पीठाधीश्वर, धर्मगुरु आदि स्थापित करने के प्रयासों के कारण सनातन धर्म और संस्कृति अपमानित होकर कमजोर हुये हैं!अब तो प्रयागराज महाकुम्भ में आयोजित धर्मसंसद में राहुल गाँधी आदि नेताओं को सनातन धर्म का अपमान करने पर इस्लामिक शैली पर सनातन धर्म से बहिष्कृत करने का फतवा भी जारी कर दिया गया है!सनातन धर्म, संस्कृति, वेद,मनुस्मृति, उपनिषद्, दर्शनशास्त्र, श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि महापुरुषों का आजकल के तथाकथित नव बौद्ध,तथाकथित मूलनिवासी, तथाकथित दलित, नव ईसाई आदि हर दिन अपमान करते रहते हैं!उनके विरोध में भी फतवे जारी करने की हिम्मत करो! उपरोक्त में से अधिकांश तो विदेशी शक्तियों के संकेत पर ऐसा कर रहे हैं! और तो और सत्ताधारी दल के तथाकथित हिन्दू कहलवाने वाले नेता भी ऐसा कर रहे हैं! बनारस में सैकड़ों मंदिरों को अभी पीछे किसने तोडा था? श्रीराम मंदिर को खोलने के बारे में सनातनी मर्यादा का किसने उल्लंघन किया था – यह धर्म संसद के धर्माचार्यों को भलि तरह से पता है! सभी को नोटिस भिजवाने की हिम्मत करके दिखलाओ! किसान आंदोलन के दौरान सनातनी किसानों को किसने सनातन द्रोही, राष्ट्रद्रोही, धर्मद्रोही कहा था? उन सभी नेताओं और धर्मगुरुओं को भी नोटिस भिजवाओ!भारत में प्रतिदिन हजारों गौवंश मांस के लिये काटा जा रहा है!अधिकांश गौवंश के कत्लखाने हिन्दू और जैन भाईयों के द्वारा ही संचालित हैं!सत्ताधारी दल के अनेक नेता भी इसमें शामिल हैं! इन सभी को नोटिस भिजवाना चाहिये! आखिर हमारे यहाँ राजनीतिक,धार्मिक, नैतिक,तार्किक दोगलापन चरम पर है!
ये तथाकथित सनातनी कहे जाने वाले साधु, धर्मगुरु,आचार्य, संन्यासी, स्वामी, शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, कथाकार ही सनातनी जीवनशैली को आचरण में नहीं उतारकर या तो राजनीति कर रहे हैं या फिर अय्याशी का जीवन जी रहे हैं!यम, नियम,त्याग,संयम, तपस्या, साधना आदि करना तो जैसे इन्होंने छोड़ ही दिया है!मुझे तो यह लग रहा है कि सनातन धर्म और संस्कृति को इस समय सबसे बड़ा खतरा ईसाई और इस्लाम की बजाय इनके सहयोग और उकसाने पर काम करने वाली भारत-विरोधी नीली, पीली शक्तियों से है!विदेशी शक्तियों से सहायता प्राप्त भारत के ही कुछ लोग अपनी राजनीतिक दुकानदारी चलाने के लिये गरीब,पिछड़े,दलित आदिवासी,मूलनिवासी,नवबौद्ध के नाम पर कुछ कानूनी धाराओं का अनुचित लाभ उठाकर हरेक सनातन प्रतीकों का सरेआम मजाक उडा रहे हैं!इन सनातन धर्म, संस्कृति और राष्ट्र विरोधी शक्तियों को सजा देने का कोई प्रावधान नहीं है! भारत,भारतीय और भारतीयता को सबसे बड़ा खतरा इन्हीं शक्तियों से है! बाकी गली, कूचे, कस्बे, शहर में हर महीने पैदा होने वाले नये- नये तथाकथित भगवानों,सद्गुरुओं,जगत् गुरुओं, बाबाओं, तांत्रिकों,संतों,महंतों, कथाकारों, मोक्ष देने वालों ने धर्म की आड में जो बखेड़ा खड़ा कर रखा है, उससे सनातन धर्म और संस्कृति को बचाने के लिये कोई व्यवस्था होना चाहिये!आज के दिन महर्षि दयानंद सरस्वती और गुरु रविदास को याद करते हुये हम सबको इस हेतु प्रयास करने चाहियें!
……….
आचार्य शीलक राम
दर्शनशास्त्र -विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र – 136119

Language: Hindi
1 Like · 29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

एक सत्य यह भी
एक सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिज्र में रात - दिन हम तड़पते रहे
हिज्र में रात - दिन हम तड़पते रहे
Dr Archana Gupta
कहाँ मिली गाँव के बयार
कहाँ मिली गाँव के बयार
आकाश महेशपुरी
हरियाली के बीच मन है मगन
हरियाली के बीच मन है मगन
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खुदगर्जी
खुदगर्जी
Dr. Rajeev Jain
अंधा हो गया है क्या ??
अंधा हो गया है क्या ??
Harshit Nailwal
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
Ajit Kumar "Karn"
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
नेता
नेता
विशाल शुक्ल
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपना जीना कम क्यों हो
अपना जीना कम क्यों हो
Shekhar Chandra Mitra
नमो-नमो हे माँ अम्बे।
नमो-नमो हे माँ अम्बे।
लक्ष्मी सिंह
रफाकत में
रफाकत में
Kunal Kanth
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जनहरण घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
Rambali Mishra
देह से विलग भी
देह से विलग भी
Dr fauzia Naseem shad
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
Ravi Prakash
दरख़्त पलाश का
दरख़्त पलाश का
Shakuntla Shaku
sp 83 राणा प्रताप महान
sp 83 राणा प्रताप महान
Manoj Shrivastava
परिवर्तन ही स्थिर है
परिवर्तन ही स्थिर है
Abhishek Paswan
प्राण प्रतिष्ठा और राम की माया
प्राण प्रतिष्ठा और राम की माया
Sudhir srivastava
प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना...
प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना...
आर.एस. 'प्रीतम'
कविता
कविता
Nmita Sharma
सब्जियाँ
सब्जियाँ
विजय कुमार नामदेव
तलाक इतने ज्यादा क्यों हो रहे हैं..? एक इंसान के साथ शादी के
तलाक इतने ज्यादा क्यों हो रहे हैं..? एक इंसान के साथ शादी के
पूर्वार्थ देव
बाप की
बाप की "सियासत का ठेका" बेटा चलाएगा। मतलब बरसों से लाइन में
*प्रणय प्रभात*
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
Loading...