यह बसंती फिज़ा दिल चुराने लगी
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यूं कली से कली बताने लगी ,
यह बसंती फिज़ा दिल चुराने लगे।
सुर्ख सेमर के फूलों को देखा तो लगा
जैसे सुंदर सी दुल्हन लजाने लगी।
हर तरफ़ यूं बहारें नजर आती हैं ,
उड़ती तितली मुझे यूं लुभाने लगी ।
राह देखा यूं हमने खुशी का कभी ,
देखते – देखते उम्र जाने लगी।
अब पिघलने लगा बर्फ पर्वत से भी
जो नदी ,झील को यूं सजाने लगी।
नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित