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30 Jan 2025 · 1 min read

यह बसंती फिज़ा दिल चुराने लगी

212 212 212 212

यूं कली से कली बताने लगी ,
यह बसंती फिज़ा दिल चुराने लगे।

सुर्ख सेमर के फूलों को देखा तो लगा
जैसे सुंदर सी दुल्हन लजाने लगी।

हर तरफ़ यूं बहारें नजर आती हैं ,
उड़ती तितली मुझे यूं लुभाने लगी ।

राह देखा यूं हमने खुशी का कभी ,
देखते – देखते उम्र जाने लगी।

अब पिघलने लगा बर्फ पर्वत से भी
जो नदी ,झील को यूं सजाने लगी।

नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
50 Views
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