Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2024 · 3 min read

*पुस्तक समीक्षा*

पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम: मेरी कलाकृतियॉं
संस्करण:सितंबर 2024
कलाकार/लेखक का नाम: हरिशंकर शर्मा 213 10-बी स्कीम, गोपालपुरा बायपास, निकट शांति दिगंबर जैन मंदिर, जयपुर 302018 राजस्थान
मोबाइल 9257446828 तथा 9461046594
प्रकाशक: दृशी प्रकाशन
104 सिद्धार्थ नगर, मदरामपुरा, सांगानेर, जयपुर 302029 राजस्थान
मोबाइल 82096 40202
———-
समीक्षक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
——————————-
हरिशंकर शर्मा के संग्रह में लगभग 300 कलाकृतियॉं हैं ।उनमें से लगभग 40 कलाकृतियों को ‘मेरी कलाकृतियॉं’ शीर्षक में शामिल किया गया है। इनमें समाज-जीवन के विभिन्न चित्र कलाकार ने अंकित किए हैं।

कलाकृतियों के माध्यम से अपनी बात कहना सबसे कठिन कार्य है। इसमें लेख के समान विचारों को विस्तार से व्यक्त करने की सुविधा नहीं होती। व्यंग्य-चित्र के समान एक या दो पंक्तियॉं लिखने की छूट भी नहीं मिलती है। ज्यादा से ज्यादा ‘शीर्षक’ दिया जा सकता है लेकिन वह भी समूचे चित्र को व्यक्त नहीं कर पाता। कलाकार को बोलता हुआ चित्र बनाना पड़ता है। हॅंसी-उदासी आदि सभी प्रकार के भावों को व्यक्त करने के लिए उसके पास केवल रंग, पेंसिल और ब्रुश होता है।

जो कलाकार भावनाओं और विचारों का चित्रण जितनी बारीकी से कर लेता है, वह उतना ही सफल माना जाता है। कई बार इस कार्य में बहुत छोटी-छोटी प्रवृत्तियों को दर्शाकर कलाकार बहुत कुछ कह देता है। उदाहरणार्थ हरिशंकर शर्मा का एक चित्र भिखारी शीर्षक से है। इसमें एक दिव्यांग भिखारी हाथ में कटोरा लिए खड़ा है तथा एक नेताजी बाएं हाथ से उसके कटोरे में हाथ डालकर कुछ चालाकी चलने का प्रयत्न करते दिखाई दे रहे हैं। भिखारी के कटोरे में पॉंचो उंगलियॉं डालकर दिखाना कलाकार द्वारा थोड़े में बहुत कुछ कहा जाना है।

इसी की तुलना में पुस्तक के मुखपृष्ठ पर दानदाता स्त्री को नजरें नीचे किए हुए रुपए दान में देते हुए दिखाया गया है। दानदाता की मानसिकता को केवल चित्र के माध्यम से व्यक्त करना एक कठिन कार्य है, जो कलाकार ने किया है।

मुसाफिर शीर्षक में अपनी ही मस्ती में डूबे हुए एक व्यक्ति को कंधे पर झोला लटकाए हुए साधारण-से रेखाचित्रों के माध्यम से दिखाया गया है। इसमें व्यक्ति के पास कुछ न होते हुए भी भीतर का आनंद अभिव्यक्त हो रहा है।

एक रेखाचित्र अपराध की योजना शीर्षक से है। इसमें भी परिस्थितियों का चित्रण रेखाओं के द्वारा अच्छा देखने में आ रहा है। कुछ लोग सुनसान में अपराध की योजना बना रहे हैं। निकट ही एक व्यक्ति के हाथ में रूपयों की थैली तथा कंधे पर टॅंगा हुआ हथियार परिस्थितियों को स्पष्ट दर्शा रहा है। योजना के सूत्रधार की लंबी परछाई माहौल के डरावनेपन को दुगना कर रही है।

पनघट पर मन में उदासी लिए स्त्री के तीन चित्र पुस्तक में है। विरह-वेदना को कलाकार ने नायिका के मुखमंडल पर दर्शाने में सफलता पाई है।

विदाई का चित्र छोटा है, लेकिन परंपरागत रूप से नाक में बड़ी-सी नथनी और सिर पर ऑंचल ढका हुआ है। पालकी वाला ‘लुक’ भी इसमें आ रहा है।

वर पूजा का पारंपरिक चित्रण अच्छा है। शायद किसी वास्तविक दृश्य से लिया गया है।

सिमर सिमरिया (लोक कला) और टेसू राजा (लोक कला) के चित्र परंपरागत रीति से घरों में त्योहार का अनुभव करने वाली कलाकृतियॉं हैं।

अनेक कलाकार कलाचित्र बनाते हैं, लेकिन अच्छी कलाकृतियॉं वही होती हैं जिनमें समीक्ष्य कलाकृतियों के समान कोई भाव अथवा विचार प्रकट हो रहा हो।
रहस्यात्मकता भी कला का एक गुण होता है। हरिशंकर शर्मा ने इस गुण का प्रयोग भी अपनी कलाकृतियों में किया है। ऐसी कलाकृतियों में लेखक तो कुछ आड़ी-तिरछी रेखाऍं बनाकर परिदृश्य से हट जाता है, लेकिन उनके अर्थ दर्शकों को ही खोजने पड़ते हैं।

ज्यादातर शौकिया कलाकारों की कलाकृतियॉं अंधकार में दबी रह जाती हैं। हरिशंकर शर्मा सौभाग्यशाली हैं कि उनकी कलाकृतियॉं पुस्तक रूप में प्रकाशित हो पाई हैं। बधाई

158 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय प्रभात*
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मैं प्रभु का अतीव आभारी
मैं प्रभु का अतीव आभारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
.
.
लक्ष्मी सिंह
वो कालेज वाले दिन
वो कालेज वाले दिन
Akash Yadav
शादी की वर्षगांठ
शादी की वर्षगांठ
R D Jangra
*चार भाई*
*चार भाई*
Dushyant Kumar
दिल की हालत
दिल की हालत
करन ''केसरा''
"हम बड़ा तो हम बड़ा"
Ajit Kumar "Karn"
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
अवध किशोर 'अवधू'
सत्य की खोज यानी अपने आप की खोज. जीवन का परम लक्ष्य
सत्य की खोज यानी अपने आप की खोज. जीवन का परम लक्ष्य
Dr B.R.Gupta
*सीखें हिंदी गर्व से, इसमें बसता देश (कुंडलिया)*
*सीखें हिंदी गर्व से, इसमें बसता देश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
महामारी एक प्रकोप
महामारी एक प्रकोप
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
रंगों का बस्ता
रंगों का बस्ता
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एकांत
एकांत
Shally Vij
गोरे काले वर्ण पर,
गोरे काले वर्ण पर,
sushil sarna
शनि देव
शनि देव
Rambali Mishra
कौशल
कौशल
Dinesh Kumar Gangwar
Har chij professional goal hi nhi hota hai ,
Har chij professional goal hi nhi hota hai ,
पूर्वार्थ
पहले जैसी कहाँ बात रही
पहले जैसी कहाँ बात रही
Harminder Kaur
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
पिता की लाडली तो हर एक बेटी होती है, पर ससुर जी की लाडली होन
पिता की लाडली तो हर एक बेटी होती है, पर ससुर जी की लाडली होन
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नया इतिहास
नया इतिहास
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी
बात बिगड़ी थी मगर बात संभल सकती थी
Shivkumar Bilagrami
बंदरों का उत्पात
बंदरों का उत्पात
Buddha Prakash
बेटियाँ
बेटियाँ
Shweta Soni
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
Loading...