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इश्क़ तुम्हारा महुआ जैसा,
रस से है परिपूर्ण रसीला,
बूंद बूंद टपकाते जाना,
घूँट घूँट पी लूँगी।
मदमय मादकता इतना
नहीं होश में आऊँगी।
लक्ष्मी सिंह
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इश्क़ तुम्हारा महुआ जैसा,
रस से है परिपूर्ण रसीला,
बूंद बूंद टपकाते जाना,
घूँट घूँट पी लूँगी।
मदमय मादकता इतना
नहीं होश में आऊँगी।
लक्ष्मी सिंह