यूँ ही ज़िंदगी के पन्ने पलटते पलटते कुछ यादों से मुलाक़ात हो
यूँ ही ज़िंदगी के पन्ने पलटते पलटते कुछ यादों से मुलाक़ात हो गई,
कहीं ओठों पर छाई मुस्कान कहीं आँखें नम हो गई।
पता ही नहीं चला कब शुरू हुई ज़िंदगी कब ख़त्म हो गई,
सिमटती गई रील और जीवन की पिक्चर ख़त्म हो गई ।