कुम्भ स्नान -भोजपुरी श्रंखला - भाग - 1
आप जैसे बहुत हैं, यहाँ लोग भी
कितना चाहते हैं तुमको ये कभी कह नहीं पाते, बस इतना जानते हैं
JITESH BHARTI ( मतवाला कवि )
पूरा दिन जद्दोजहद में गुजार देता हूं मैं
*सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)*
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
पुत्र की भूमिका निभाते वक्त माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतर