आप जैसे बहुत हैं, यहाँ लोग भी

#ग़ज़ल
आप जैसे बहुत हैं, यहाँ लोग भी ,
ऐसे पाओगे तुम सब ,कहाँ लोग भी।1/
चलते चलते, बिछड़ना गवारा न था ,
भीड़ में खो गए ,सब जवाँ लोग भी ।2/
शोर बरपा हुआ , ऐसे लम्हों में जब ,
चुप रहें भी तो , कैसे दहाँ लोग भी ।3/
छाई वीरानियाँ , ज़ब्त थक सा गया ,
टूटकर गिर पड़े , जब महाँ लोग भी ।4/
बिखरे बिखरे दिखे, जब ये जज़्बात सब ,
उसकी महफ़िल में , रोए निहाँ लोग भी ।5/
बिजलियाँ जब गिरीं ,सब ठिठकने लगे ,
ढूंढ पाए न फिर , कारवाँ लोग भी ।6/
घेर रक्खी थी , सबने ज़मीं दोस्तों ,
चाहते थे इधर , आसमाँ लोग भी ।7/
‘ नील’ दुखड़ा सुनाती , रही रात भर ,
फिर भी समझे नहीं ,ये शहाँ लोग भी ।8/
✍️नील रूहानी….20/02/2025…..