Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2024 · 1 min read

तुमने की दग़ा – इत्तिहाम  हमारे नाम कर दिया

ख़ियाबां हमारा
काँटों से भर दिया तुमने
की तुमने दग़ा हर रिश्तों में
और इत्तिहाम
हमारे नाम कर दिया

यह भी जान ले
बहुत अनजान है तू
मेरे चश्म-ए-तल्ख के आक़िबत से
ज़रर की ख़लिश होगी इतनी
नसीब होगा नामरना तुम्हें
और जीना मुहाल होगा

……. अतुल “कृष्ण”

ख़ियाबां= पुष्पवाटिका, फूलों की क्यारी
इत्तिहाम= दोष, दोषारोपण
चश्म-ए-तल्ख = आँसू
आक़िबत= परिणाम
ज़रर= घाव, शोक
ख़लिश = चुभन, दर्द

Language: Hindi
179 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Atul "Krishn"
View all

You may also like these posts

स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
वो सारी खुशियां एक तरफ लेकिन तुम्हारे जाने का गम एक तरफ लेकि
वो सारी खुशियां एक तरफ लेकिन तुम्हारे जाने का गम एक तरफ लेकि
★ IPS KAMAL THAKUR ★
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
डॉ० रोहित कौशिक
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
Rj Anand Prajapati
तुम्हारे हर सफर में
तुम्हारे हर सफर में
लक्ष्मी सिंह
मेरा हर राज़ खोल सकता है
मेरा हर राज़ खोल सकता है
Shweta Soni
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
निर्गुण
निर्गुण
श्रीहर्ष आचार्य
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
अधूरी दास्तान
अधूरी दास्तान
Er.Navaneet R Shandily
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
Poonam Matia
मेरी सूरत हो
मेरी सूरत हो
Sumangal Singh Sikarwar
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नए ज़माने की जीवन शैली
नए ज़माने की जीवन शैली
Pushpa Tiwari
"If my energy doesn't wake you up,
पूर्वार्थ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
पुराने दोस्त वापस लौट आते
पुराने दोस्त वापस लौट आते
Shakuntla Shaku
संघर्ष की रात कितनी ही लंबी
संघर्ष की रात कितनी ही लंबी
Ranjeet kumar patre
नारी चेतना का वैश्विक फलक
नारी चेतना का वैश्विक फलक
Sudhir srivastava
कैसा हूं मैं
कैसा हूं मैं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तुम बन जाना
तुम बन जाना
ललकार भारद्वाज
फ़िर कभी ना मिले ...
फ़िर कभी ना मिले ...
SURYA PRAKASH SHARMA
दायरे में शक के मेरा आइना इन दिनों
दायरे में शक के मेरा आइना इन दिनों
sushil yadav
वोट करो भई वोट करो
वोट करो भई वोट करो
डी. के. निवातिया
आज कल पढ़ा लिखा युवा क्यों मौन है,
आज कल पढ़ा लिखा युवा क्यों मौन है,
शेखर सिंह
सपने सुहाने
सपने सुहाने
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
2930.*पूर्णिका*
2930.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्रीराम चाहिए
श्रीराम चाहिए
Ashok Sharma
Loading...