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20 May 2024 · 1 min read

रिश्तों की चादर

उधड़ी रिश्तों की चादर,
तो पैबंद लगाऐ हमने,
नज़रअंदाज किया कभी,
तो कुछ बन्द लगाऐ हमने…

ये एहतियात रखा हमने,
कि फासले कभी न हों,
बेवजह ही कितनी बार,
ताले जुबां पे लगाऐ हमने…

एकतरफा भला कब तक,
कोई करे तो क्या करे,
रोज ही ढ़हते गये यक़ीन,
जो दिल में बनाऐ हमने…

©विवेक’वारिद’*

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