Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2024 · 5 min read

लोकोक्तियां (Proverbs)

लोकोक्तियाँ (proverbs)

‘लोकोक्ति’ का अर्थ होता है लोक में प्रचलित ‘उक्ति या कथन’। यह दो शब्दों के मेल से बना है ‘लोक+उक्ति’ लोक का अर्थ होता है ‘लोक’ और ‘उक्ति’ का अर्थ होता है ‘कथन’। अथार्त लोक में प्रचलित उक्ति या कथन। लोकोक्ति के रचनाकार का पता नहीं होता है। इसलिए अंग्रेजी में इसकी परिभाषा दी गई है- ‘A proverb is a saying without an auther’ वृहद् हिंदी कोश के अनुसार लोकोक्ति की परिभाषा- “विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात कि पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है।”

लोकोक्ति और कहावत में अंतर होता है- लोकोक्ति ऐसा कथन या वाक्य हैं। जिनके स्वरुप में समय के अंतराल के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। अथार्त लिंग, वचन, काल आदि का प्रभाव लोकोक्ति पर नहीं पड़ता हैं। जबकि कहावतों कि संरचना में परिवर्तन देखे जा सकते हैं।

लोकोक्ति के गुण-
1. लोकोक्ति जीवन भोगे हुए यथार्थ को व्यंजित करती है; जैसे- न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी, डोली न कहार बीबी हुई तैयार, जिसकी लाठी उसकी भैस आदि।

2. लोकोक्ति अपने आप में पूर्ण कथन है जैसे- जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय, नेकी कर दरिया में डाल।

3. लोकोक्ति संक्षिप्त रचना है। इसमें से हम एक शब्द भी इधर से उधर नहीं सकते है। इसलिए लोकोक्ति को विद्वानों ने ‘गागर में सागर भरने’ वाली उक्ति कहा है।

4. लोकोक्ति जीवन के अनुभवों पर आधारित होती है। जीवन के वे अनुभव जो भारतीय समाज में व्यक्तियों को होते हैं। वैसे अनुभव यूरोपीय समाज के लोगों के भी हो सकते हैं। जैसे- ‘नया नौ दिन पुराना सौ दिन’, ‘old is gold’.

5. लोकोक्ति प्रायः तर्कपूर्ण युक्तियाँ होती हैं। जैसे- काठ कि हाँडी बार-बार नही चढ़ती, बाबा आप लबार वैसे उनका कुल परिवार।

6. कुछ लोकोक्ति तर्कशून्य भी हो सकती है। जैसे- छछून्दर के सर में चमेली का तेल।

7. कुछ लोकोक्तियाँ अतिश्योक्ति भी बन जाती है।

लोकोक्तियाँ और अर्थ
1. घर में टुकी-टुकी रोटी, बाहर घूठी वाला धोती- घर में भर पेट खाने के लिए नहीं है किंतु बाहरी दिखावा बहुत है।

2. अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टाका सेर खाजा- जहाँ मालिक मूर्ख होता है, वहाँ पर गुणी जनों का आदर नहीं होता है।

3. अपनी डफली अपनी राग- कोई भी कार्य नियम से नहीं करना।

4. आपन करनी पार उतरनी- मनुष्य को अपने कर्मो का ही फल मिलता है।

5. डोली ना कहार, बीबी हुई तैयार- बिना बुलाए जाने कि तैयारी करना।

6. टाट का लंगोटा, नवाब से यारी- निर्धन व्यक्ति, धनवान के साथ दोस्ती करने का प्रयास।

7. नेकी कर दरिया में डाल- किसी के साथ भलाई करके भूल जाना।

8. आँख का अँधा नाम नयनसुख- गुण के विरुद्ध नाम का होना।

9. आगे नाथ न पीछे पगहा- किसी तरह कि कोई जिम्मेदारी नहीं होना।

10. आई मौज फकीर को, दिया झोपड़ा फूंक – वैरागी लोग मनमौजी होते हैं।

11. आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास – आवश्यक कार्य को छोड़कर अनावश्यक कार्य करना।

12. हारिल की लकड़ी, पकड़ी सो पकड़ी- हठी अपना हठ नहीं छोड़ता है।

13. हाथी घूमे हजार, कुता भौके बाजार- बड़े लोग छोटे लोगों कि परवाह नहीं करते है।

14. हलक से निकली, खलक में पड़ी- मुँह से बात निकलते ही फैल जाना।

15. हराम की कमाई हराम में गँवाई- बिना मेहनत की कमाई फिजूल में खर्च हो जाना।

16. हज्जाम के आगे सर झुकाना- अपने स्वार्थ के लिए झुकना।

17. हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और- कहना कुछ करना कुछ और।

18. अपना हाथ जगन्नाथ- अपना काम स्वयं करना।

19. अंधों में काना राजा- मूर्खो के बीच थोड़ा सा पढ़ा-लिखा।

20. कंगाली में आटा गीला- कम कमाई में अधिक नुकसान होना।

21. अस्सी की आमद, चौरासी खर्च- आमदनी से अधिक खर्चा करना।

22. कमाई अठन्नी खर्चा रुपईया – आमदनी से अधिक खर्चा करना।

23. अपनी करनी पार उतरनी- मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है।

24. सोना दहाइल जाए, कोयला पर छापा- बहुमूल्य की चिंता छोड़कर सामान्य पर ध्यान देना।

25. आज हमारी कल तुम्हारी देखों भैया पारापारी- जीवन में सुख-दुःख सभी पर आती है।

26. आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे ना सारी पावे- अधिक की लालच में आसानी से उपलब्ध भी गवाँ देना।

27. आदमी का दवा आदमी है- मनुष्य ही मनुष्य का सहायता करता है।

28. आधा तितर, आधा बटेर- बेमेल कि स्थिति होना।

29. ठेस लगे, बुद्धि बढ़े- हानि होने के बाद बुद्धि बढ़ती है।

30. पानी में पानी मिले, मिले कीच में कीच- जो जैसा होता उसे वैसे ही लोग मिलते हैं।

31. जिये ना माने पितृ, और मुए करें श्राद्ध- कुपात्र संतान होना।

32. कोयले की दलाली में मुँह काला – बुरों के साथ बुरा ही होता है।

33. अंधों में काना राजा- मूर्खो के बीच पढ़ा-लिखा व्यक्ति।

34. अंधा पिसे, कुता खायें- मूर्खों की कमाई व्यर्थ में नष्ट हो जाना।

35. हँसुआ के ब्याह में खुरपी का गीत- किसी भी अवसर पर गलत प्रयोग ।

36. हँसा था सो उड़ गया, कागा हुआ दीवान- सज्जनों का निरादर और नीच का आदर करना।

37. सावन सुखा न भादों हरा- हमेशा एक सामान रहने वाला।

38. सस्ता रोये बार-बार, महँगा रोये एक बार- सस्ती चीजें बार-बार खरीदने से अच्छा है एक बार महँगी वस्तु खरीदना।

39. तसलवा तोर की मोर- एक वस्तु पर दो व्यक्ति का दावा करना।

40. काला अक्षर भैंस बराबर- बिलकुल अनपढ़ होना।

41. कड़ी मजूरी, चोखा काम- पूरा पैसा देने से काम अच्छा और पूरा होता है।

42. खेत खाए गदहा मार खाए जोलहा- गलती करे कोई सजा किसी और को।

43. शौकीन बुढ़िया, चटाई का लहँगा- बहुत शौक़ीन होना।

44. लुट में चरखा नफा- जहाँ कुछ भी पाने की उमीद न हो वहाँ कुछ भी हासिल हो जना ।

45. भागे भूत की लंगोटी भली – जहाँ कुछ भी पाने की उमीद न हो वहाँ कुछ भी हासिल हो जना।

46. मुँह में राम, बगल में छुरी – कपटी मनुष्य।

47. मन चंगा, तो कठौती में गंगा- मन शुद्ध है, तो सब कुछ सही है

48. भैंस के आगे बीन बजाई, भैंस खड़ी पगुराई- मूर्ख को शिक्षा देने का कोई लाभ नहीं।

49 बीन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख- मांगने से कुछ नहीं मिलता है लेकिन कई बार बिना माँगे ही आशा से भी अधिक मिल जाता है।

50. बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना – संयोग से काम हो जाना।

51. पानी पिलाकर जात पूछना- काम के बाद परिणाम जानना।

52. घड़ी में घर छूटे, नौ घड़ी भदरा- जब किसी कार्य को करने की शीघ्रता हो उस समय शुभ मूहूर्त की प्रतीक्षा में बैठे रहना।

53. साग से ना जुड़ाई, त साग के पानी से जुड़ाई- आवश्यकता पड़ने पर झूठी दिलासा देना।

54. बनिया दे ना, सवा सेर तौलिह – बेकार की उमीदें रखना

55. लाग हो तो समझें लगाव बरना धोखा खाएं क्यों? जिससे भले की उमीद न हो उसपर आश लगाना व्यर्थ होता है।

जय हिंद

Language: Hindi
132 Views

You may also like these posts

हाँ बाम-ए-फ़लक से तुझी को चांद निहारे (ग़ज़ल)
हाँ बाम-ए-फ़लक से तुझी को चांद निहारे (ग़ज़ल)
Johnny Ahmed 'क़ैस'
तुम और मैं
तुम और मैं
NAVNEET SINGH
बिटिया प्यारी
बिटिया प्यारी
मधुसूदन गौतम
लिखना
लिखना
पूर्वार्थ
परिवार
परिवार
Shashi Mahajan
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :
मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
Shyam Sundar Subramanian
पधारो नंद के लाला
पधारो नंद के लाला
Sukeshini Budhawne
तुम हो तो
तुम हो तो
Dushyant Kumar Patel
"महत्वाकांक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
4176.💐 *पूर्णिका* 💐
4176.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
’राम की शक्तिपूजा’
’राम की शक्तिपूजा’
Dr MusafiR BaithA
*सत्य  विजय  का पर्व मनाया*
*सत्य विजय का पर्व मनाया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सब तो उधार का
सब तो उधार का
Jitendra kumar
😢न्यू-वर्ज़न😢
😢न्यू-वर्ज़न😢
*प्रणय*
आज दिल कुछ उदास सा है,
आज दिल कुछ उदास सा है,
Manisha Wandhare
मित्र
मित्र
Rambali Mishra
समय की प्यारे बात निराली ।
समय की प्यारे बात निराली ।
Karuna Goswami
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
Manisha Manjari
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
SURYA PRAKASH SHARMA
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
सत्य कुमार प्रेमी
हुस्न उनका न कभी...
हुस्न उनका न कभी...
आकाश महेशपुरी
गुमनाम सा शायर हूँ अपने  लिए लिखता हूँ
गुमनाम सा शायर हूँ अपने लिए लिखता हूँ
Kanchan Gupta
#हे_कृष्णे! #कृपाण_सम्हालो, #कृष्ण_नहीं_आने_वाले।
#हे_कृष्णे! #कृपाण_सम्हालो, #कृष्ण_नहीं_आने_वाले।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
भभक
भभक
Dr.Archannaa Mishraa
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*
Ravi Prakash
Loading...