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24 Oct 2023 · 1 min read

*सत्य विजय का पर्व मनाया*

सत्य विजय का पर्व मनाया
************************

दशहरा उत्सव है अंधेरा छाया,
दशानन दहन नियम निभाया।

सत्य विजय का पर्व मनाया,
पुतला रावण का है जलाया।

हर साल रावण फूंकते आये,
राम में आ नहीं हाथ मिलाया।

बुराई अब तक जल नहीं पाई,
मन में पाप घन घोर समाया।

नर के हाथों जलती ही आई,
सीता का पल्लू रोज जलाया।

अयोध्या प्यारी राम की नगरी,
रावण राज हर घर है दुखाया।

मनसीरत बना श्री लंका वासी,
बुराई का अंत है देख न पाया।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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