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5 May 2024 · 1 min read

"किवदन्ती"

“किवदन्ती”
यहाँ हवा-हवाई कभी थमी नहीं,
इसलिए किवदन्तियों की कोई कमी नहीं।
कहते पारिजात वृक्ष को छूके देखिए,
जिसके सामने कोई थकान रमी नहीं।

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