You'll never truly understand
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
ज़माने भर की ख्वाहिशें है
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की
प्रियें,
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
उदास धड़कन
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चाय सी महक आती है तेरी खट्टी मीठी बातों से,