पराग
कभी ना होना उदास
निराश ना गुमसुम !
सफलता के अगले वर्ष पर
प्रवेश कर रही हो तुम !!
मिलेगी राह में कई दीवारें !
चुनौतियां और मझधारें !!
हिम्मत ना हारना हौसला रखना !
अगर गिर जाए सारी पतवारें !!
होगी परीक्षा भी समीक्षा भी !
और चलेगा तुम्हारी चर्चाओं का दौर भी !!
तब मजा आएगा लिखने का !
पढ़ने का कुछ और भी !!
लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ !
देश की प्रगति का तुम आधार हो !!
नित नूतन चिर पुरातन !
पाठकों का प्यारा तुम संसार हो !!
• विशाल शुक्ल