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22 Feb 2024 · 1 min read

व्याकुल हृदय

तुम हवा से आ गयी
मैं समीर बन गया ।
तुम भोर की किरण
मैं सूरज बन गया ।।1।। तुम हवा से आ गयी……

इक्तफाक रख रहे
हम यूं मिल गए ।
तुम चांदनी बनी
मैं चांद बन गया ।।2।। तुम हवा से आ गयी……

तुम घटा घटा चली
मैं मेघ बन गया ।
तुम खुशुबू जब बनी
मैं फूल बन गया ।।3।। तुम हवा से आ गयी……

तुम राग जब बनी
मैं संगीत बन गया ।
बिखरे थे जो पल
मैं समेटता गया ।।4।। तुम हवा से आ गयी……

खाली थी कलम
मैं भरता चला गया ।
तुम शब्द बन गई
मैं शब्दकार बन गया ।।5।। तुम हवा से आ गयी……

जहां राग हैं गए
वही रागिनी गई ।
तुम गजल जब बनी
मैं कवि बन गया।।6।। तुम हवा से आ गयी……

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