“शब्द”

“शब्द”
ये छोटे से अक्षर, अद्भुत इनकी शान,
मन के भावों को देते ये पहचान।
कभी ये मीठे रस से घुले हुए,
कभी ये तीखे बाण से बुने हुए।
विचारों की ये नींव हैं गहरे,
ज्ञान के सागर के मोती बिखरे।
प्रेम की ये भाषा, स्नेह का ये गान,
क्रोध की ज्वाला, तीखी ये तान।
इतिहास इनमें सदियों से बसा,
संस्कृति का इनमें हर रंग कसा।
कहानियाँ इनमें जीती और मरतीं,
भावनाओं की ये धारा बहती।
एक शब्द बदल दे जीवन की राह,
एक शब्द मिटा दे दिल का संताप।
सोच समझकर इनको तुम बोलो,
इनकी शक्ति को कभी न तोलो।
रचना की ये अद्भुत हैं कारीगरी,
भावों को आकार देती हर घड़ी।
शब्द हैं अनमोल, ये हैं धरोहर,
इनका सम्मान करो हर पल, हर क्षण भर।
स्वरचित एवं मौलिक
कवि
आलोक पांडेय
गरोठ, मंदसौर, मध्यप्रदेश।