वर्तमान परिदृश्य में विचारधारा भी एक बिजनेस बनकर रह गया है ।

वर्तमान परिदृश्य में विचारधारा भी एक बिजनेस बनकर रह गया है ।
धर्म का व्यापारीकरण ,राजनीतीकरण सब हो चुका है । जीवन जीने का एकमात्र तरीका जी हुजूरी रह गई है ।
वर्तमान परिदृश्य में विचारधारा भी एक बिजनेस बनकर रह गया है ।
धर्म का व्यापारीकरण ,राजनीतीकरण सब हो चुका है । जीवन जीने का एकमात्र तरीका जी हुजूरी रह गई है ।