Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Dec 2024 · 1 min read

रिश्तों में दूरी

आजकल रिश्तों में एक अलग ही दूरी आई हुई है
अंजान से है सब और बेखबरी छाई हुई है

ना कोई किसी को अपनी परेशानी बताता है
ना ही अपनापन जताता है
ना ही सही गलत समझाता है
और ना आगे बढ़ने का रास्ता दिखलाता है।

बस एक दूजे से शिकायत करते है
और रिश्तों को खोने से नहीं डरते है
ना जाने स्वार्थ है या असर है इस दौर का
बस अपने नजरिए से सबको देखते हैं।

उम्मीद है कि सामने वाला हमसे रिश्ता निभाए
हमसे पूछे और हमें सब कुछ बताए
मगर पहल कोई करता नहीं
परेशानी की जानकारी रखता नहीं

अपने सपनों की खातिर बस दौड़ लगी है
एक दूजे से आगे बढ़ने की होड़ लगी है
ना जाने कितना आगे निकल गए दौड़ते दौड़ते
ऐसा लग रहा मानो जैसे आगे कोई मोड नहीं है।

इतना भी मत भागो इस सफ़र में कि खुद को तुम गुमनाम कर दो
दूर हो जाओ सबसे और बाकी बचे रिश्तों को भी बेनाम कर दो।।

वक्त रहते शामिल कर लो वापिस उन पलों को
बस यादों में उनको मत रखो
आवाज दो उन रिश्तों को जिसमें तुम प्रेम के अहसास को चखो
यही जिंदगी की असली कमाई है
रिश्तों में भी पूरी दुनिया समाई है।

रेखा खिंची ✍️ ✍️

Loading...