एक बात बोलू
एक बात बोलू
कितना मुश्किल होता है ना उस रिश्ते में रहना उस इंसान के साथ रहना, जो हमारे होते हुए भी हमारे नही होते, जिनको ना हमारी खुशी से मतलब होता है और ना ही हमारी तकलीफ से…
मन में आया तो हमसे बात किए नही तो नही, जो हमारे साथ तो रहते है मगर हमें कभी importance नही देते…
जो ना ही हमें अपनाते है और ना ही हमारे होते है, हमें limited वक़्त देते है ताकि हम होल्ड पे रह सके सब कुछ उलझाकर रखते है ना ही हमें इधर का करते है ना ही उधर का सब कुछ बीच में अटका के रखते है…
और सबसे अजीब बात ये है कि हम सब कुछ जानते हुए भी उनके साथ रहते है उनका साथ देते है हमेशा उनके भले और खुशियों के बारे में ही सोचते है….