बचपन कविता

धीरे-धीरे समय बढ़ता गया
यारों का मजमा घटता गया
कामों में हो गए सब बिजी
तकदीर ने ऐसी माया खींची
बचपन था यारों बड़ा प्यारा
उम्र ने किया है सबको यारा
फेसबुक पे दिखता ये चेहरा
लगता कमेंटों का बस पेहरा
कविता लेखन लिखे बिलाल
दर्शाता उम्र का बस मलाल
दुनिया से यूँ चले गए कितने
जिंदगी के रहते बस फितने
यारों की गली में फिर से चले
लगाते हैं उनको-सीने से गले
घिन को हटाकर फिर हंसते हैं
फिर से बचपने दौर में फंसते हैं
याद आएगी यारों ये जवानी
यादों में रहे जांए बस कहानी
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समाप्त–🙏
लेखक– चौधरी बिलाल 🍁