पंक्ति

पंक्ति
ज़हर का बोल उगलने से उनके
नफरत जो होती हमारी यारी मे
मन करता दोस्त अब बिलाल का
आग न लगा दूँ उस रिस्तेदारी में
(Writer Ch Bilal)✍️
पंक्ति
ज़हर का बोल उगलने से उनके
नफरत जो होती हमारी यारी मे
मन करता दोस्त अब बिलाल का
आग न लगा दूँ उस रिस्तेदारी में
(Writer Ch Bilal)✍️