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23 Nov 2024 · 1 min read

आएं वृंदावन धाम

आ पहुंचे फिर हम तो वृंदावन धाम
था उनसे हमें जरूरी काम,
बैठ कर आमने-सामने उनके
वो बात करनी थी
जिनका मिलता यहीं समाधान।
रात्रि की शोभा निराली
यही पर कर लेंगे विश्राम।
प्रात उठ घूमेंगे उन कुंज गलियों
जहां घूमते थे नटवर श्याम।
कान्हा की ये पावन नगरी
भर देती खुशी मन की गगरी
तो बस गई हमारे मन मोर
प्रीत उनके चरणों से बंधी
ऐसी खींच लाती है अपनी ओर।
अन्तर्मन की खुशी का रहता कहां ठिकाना
जब छोड़कर सारे आले-जाले जीवन के
समय समय हो यह आने का बहाना।
कृपा हम बनी रहे भगवन
हमारा भी हो अपना ठिकाना
मर्जी हो बस हमारी जितना भी हो हमें यहां रूक जाना।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान

Language: Hindi
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