थाईलैंड में होगा ऐतिहासिक विमोचन: सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज के वैश्विक योगदान का अभिनंदन

थाईलैंड में होगा ऐतिहासिक विमोचन: सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज के वैश्विक योगदान का अभिनंदन
बैंगकॉक, 24 मई 2025 – वैश्विक सौहार्द, आध्यात्मिक समरसता और मानवता के प्रकाश स्तंभ सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज के जीवन एवं अनुकरणीय योगदान पर आधारित प्रेरणादायक ग्रंथ “विश्व गुरु भारत के निर्माण में सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी का योगदान” का ऐतिहासिक विमोचन आगामी 24 मई 2025 को थाईलैंड की राजधानी बैंगकॉक में भव्य रूप से संपन्न होगा।
इस प्रेरणादायक पुस्तक का सृजन दिव्य मानवता अनुसंधान केंद्र के प्रबंध निदेशक डॉ. अभिषेक कुमार द्वारा किया गया है। यह ग्रंथ संत डॉ. सौरभ जी महाराज के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं वैश्विक समरसता के प्रति अविस्मरणीय योगदान को विश्व समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करने का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ होगा।
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अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के वैचारिक नेतृत्व का उत्सव
यह ऐतिहासिक विमोचन समारोह भारत की वैचारिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित करने का एक स्वर्णिम अवसर होगा। इस भव्य आयोजन में विभिन्न देशों के राजनयिक, आध्यात्मिक गुरु, विद्वान, समाज सुधारक, सांस्कृतिक दूत और विश्व के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहेंगे।
इस आयोजन का उद्देश्य ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की सनातन भावना को पुनः जाग्रत करते हुए वैश्विक सौहार्द, धार्मिक सहिष्णुता और मानवीय एकता को एक नए आयाम पर पहुँचाना है।
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सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी महाराज: एक वैश्विक प्रेरणा
संत डॉ. सौरभ जी महाराज ने अपने जीवन को अंतरधार्मिक सौहार्द, वैश्विक शांति और मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया है। उन्होंने समाज में धार्मिक समन्वय, प्रेम और करुणा को बढ़ावा देने के लिए अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहल की हैं।
उनकी जीवन यात्रा इस तथ्य को प्रमाणित करती है कि भारत अपनी प्राचीन आध्यात्मिक विरासत को पुनर्जीवित कर ‘विश्व गुरु’ के रूप में प्रतिष्ठित होने की दिशा में अग्रसर है। यह पुस्तक उनके विचारों, आदर्शों और समर्पण को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनेगी।
संत डॉ. सौरभ जी महाराज की धर्मपत्नी डॉ. रागिनी जी भी देहदान संकल्पित संत हैं। उनकी सुपुत्री विश्व की सबसे कम आयु की श्रीमद्भागवत महापुराण कथावाचिका हैं, जबकि उनके चार वर्षीय पुत्र सौराष्ट्र भी एक बाल भक्त हैं और भगवद गीता का अध्ययन कर रहे हैं।
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थाईलैंड में विमोचन क्यों महत्वपूर्ण?
थाईलैंड अपनी आध्यात्मिक समृद्धि, सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। भारत और थाईलैंड के बीच प्राचीन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए, यह आयोजन वैश्विक शांति, धार्मिक समन्वय और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
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विमोचन समारोह: वैश्विक सौहार्द और आध्यात्मिक शक्ति का संगम
इस भव्य आयोजन में भारत सहित कई देशों के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक जगत के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहेंगे। यह कार्यक्रम न केवल वैश्विक सौहार्द और मानवता के प्रचार-प्रसार का एक नया अध्याय लिखेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आध्यात्मिक शक्ति को भी उजागर करेगा।
यह आयोजन संत डॉ. सौरभ जी महाराज के अविस्मरणीय योगदान को सम्मानित करने के साथ-साथ शांति, समरसता और भारतीय दर्शन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होगा।
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‘विश्व गुरु भारत’ संकल्प की ओर एक ऐतिहासिक पहल
इस समारोह से भारत की आध्यात्मिक नेतृत्व क्षमता को और अधिक सुदृढ़ करने की उम्मीद है। यह आयोजन ‘विश्व गुरु भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बनेगा।