मेहनत ओर संघर्ष जहां होगा वह मानसिक थकान और तनाव होगा
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
लोग भी हमें अच्छा जानते होंगे,
𑒂𑓀𑒑𑒳𑒩𑒹 𑒣𑒩 𑒪𑒼𑒏 𑒏𑒱𑒕𑒳 𑒑𑒱𑒢𑒪 𑒖𑒰 𑒮𑒏𑒻𑒞 𑒕𑒟𑒱
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जानकी पूछे लक्ष्मण, पुत्र पयारे,
हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
रखो वक्त निकाल कर नजदीकिया और निभा लो अपनापन जो भी रिश्ते
"ना पीर से पूछते हैं ना फ़क़ीर से पूछते हैं,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
पता मजनूँ को था इक दिन उसे नाकाम होना था
ऊपर वाला जिन्हें हया और गैरत का सूखा देता है, उन्हें ज़लालत क
"आदर्श मनुष्य" (Ideal Person):