स्त्री है शक्ति

स्त्री है शक्ति
स्त्री है शक्ति नारी है महान,
इसके बिना अधूरा है हर रिश्ते में प्यार।
माया ममता प्रेम है बेहिसाब,
सभी सुख: दुःख में है राहत का सागर।
कोई जुल्म अब सहती नहीं,
संघर्ष कर कर के बनतीं है अंगार।
त्याग तपस्या से है रुबरु,
कड़ी मेहनत से दिखाएं पहचान, साक्षात्कार।
सहनशीलता में अव्वल नंबर,
अब जूल्म को भी दे रहीं फटकार।
लक्ष्मी माँ का रुप बनकर,
सुख-समृद्धि से सजाएं घर-द्वार।
हर रिश्ते का सम्मान करतीं,
वक्त आने पर बंधनों को भी करें पार।
नारी से ही रोशन दुनियां ,
नारी में है ज्ञान, शिक्षा, बुध्दि बेशुमार।
अबला कोई अब कह नहीं सकता,
वो तो दृढ़ संकल्प,बल की है मिसाल यार।
स्त्री है शक्ति नारी है महान,
इसके बिना अधूरा है हर रिश्ते में प्यार।
स्वरचित मौलिक
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र