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1 Aug 2024 · 1 min read

कोई नी....!

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

दर्द को लेकर भटकूँ न मैं जहाँ
दर्द चुन लेगा मिलन के गीत यहाँ
खोई नी–खोई नी, ख्वाबों खोई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

दर्द कमजोर मन सर्द आहों का वन
दर्द आता जो छन धुएँ का घोर घन
धोई नी–धोई नी, धुंध को धोई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

आँख आँसू आयें खुशी को ले बहूँ
प्रीत का काजल ले बदली को रँगू
रोई नी–रोई नी, न जी न रोई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

तेरे स्वर–सरगम गीत जो हैं आते
होठों पर मेरे बोल ये लिख जाते
ओई नी–ओई नी, गीत ये ओई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

तेरी हर अदा उस पर मैं फ़िदा
हूँ तुझसे जुदा पर तेरी सदा
होई नी–होई नी, तेरी जो होई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

अपना गम लेकर गम को कम कर–कर
पायल सी छमकर नाचूँ जो जमकर
ढो़ई नी–ढो़ई नी, गिलों को ढो़ई नी
रात भर सोई नी, रात भर सोई नी

कोई नी–कोई नी, कोई नी–कोई नी

–कुंवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह✍🏻
*ये मेरी स्वरचित रचना है
*©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित

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